नयी दिल्ली, 28 नवंबर (लाइव 7) उच्चतम न्यायालय ने पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के मामलों में धीमी कार्रवाई पर चिंता जताते हुए गुरुवार को कहा कि प्रदूषण की रोकथाम के मामले में स्कूलों से संबंधित उपायों को छोड़कर सख्त प्रदूषण रोधी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान -4 आगामी दो दिसंबर तक लागू रहेगा।
न्यायमूर्ति एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह आदेश पारित किया। पीठ ने प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब से जुड़ी एक खबर का भी उल्लेख किया, जिसमें कथित तौर पर भू अभिलेख अधिकारी और संगरूर ब्लॉक पटवारी यूनियन के अध्यक्ष द्वारा किसानों को सैटेलाइट की निगरानी से बचने के लिए शाम चार बजे के बाद पराली जलाने की सलाह दी गई थी।
पीठ ने कहा कि अगर खबर सही है तो यह एक गंभीर मुद्दा है और राज्य सरकार के अधिकारी किसी भी किसान को इस तथ्य का फायदा उठाने की अनुमति नहीं दे सकते। पीठ ने कहा, “हमारे पास ऐसी मशीनरी होनी चाहिए जो हमें पराली जलाने के बारे में 24 घंटे सातों दिन आंकड़े भेज सके।”
पीठ ने कहा, “मूल समस्या का समाधान करना आवश्यक है और राज्य किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने में बहुत धीमी गति से काम कर रहे हैं।”
अदालत ने वायु प्रदूषण के मामले को उठाते हुए कहा कि जीआरएपी-4 लागू है और इसे सोमवार तक लागू रहना चाहिए। अदालत ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण विरोधी उपायों के कार्यान्वयन में गंभीर चूक के लिए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाना महत्वपूर्ण है।
पीठ ने कहा, “हम यह स्पष्ट करते हैं कि स्कूलों के संबंध में संशोधित उपायों को छोड़कर सभी जीआरएपी-4 उपाय सोमवार तक लागू रहेंगे।”
शीर्ष अदालत ने 25 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को स्कूलों और कॉलेजों में शारीरिक रूप से कक्षाएं शुरू करने की जांच करने के लिए कहा था। पीठ ने गुरुवार को कहा, “इस बीच, वायु गुणवत्ता आयोग एक बैठक करेगा और जीआरएपी 4 से जीआरएपी 3 या जीआरएपी 2 में ले जाने के बारे में सुझाव देगा।
पीठ ने कहा कि हम स्पष्ट करते हैं कि यह जरूरी नहीं है कि जीआरएपी 4 में दिए गए सभी उपायों को खत्म कर दिया जाए। जीआरएपी 3 और जीआरएपी 2 में उपायों का संयोजन हो सकता है।
केंद्र का पक्ष रख रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के संबंध में अपने आदेश का पालन न करने पर दिल्ली पुलिस आयुक्त, एमसीडी आयुक्त और दिल्ली परिवहन विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने आयुक्तों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि संबंधित अधिकारी जीआरएपी-4 उपायों को अक्षरशः लागू करने में पूरी तरह विफल रहे हैं।
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि जीआरएपी-4 के तहत प्रतिबंधों के अनुसार दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश रोकने में पूरी तरह विफल रहे हैं। पीठ ने कहा, “पूरी तरह विफल रहे हैं। पुलिस कहीं भी मौजूद नहीं थी। ट्रकों को क्षेत्र में प्रवेश करने दिया गया और उनके पास वापस जाने का कोई रास्ता नहीं था।”
अदालत ने कहा कि वह वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की विस्तार से सुनवाई जारी रखेगा, क्योंकि इस मुद्दे का दीर्घकालिक समाधान खोजना आवश्यक है।
पीठ ने कहा कि पराली जलाना, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ट्रकों का प्रवेश और पटाखों पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों की विस्तार से जांच की जाएगी।
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सोमवार तक प्रदूषण रोधी उपाय जारी रहेंगे: सुप्रीम कोर्ट
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