नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए छावनी क्षेत्रों को और अधिक स्मार्ट, ग्रीन तथा सिटीजन-फ्रेंडली बनाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने यह बात रक्षा संपदा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारे सामने यह मूल प्रश्न है कि क्या हम केवल प्रक्रियाओं तक सीमित संगठन बने रहेंगे या फिर ऐसे संस्थान के रूप में विकसित होंगे जो निरंतर सीखता है, खुद को बदलता है और समाज को नई दिशा भी देता है। उन्होंने रक्षा संपदा संगठन के भीतर नवाचार और सतत सुधार की मजबूत संस्कृति विकसित करने पर जोर दिया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षों में छावनी क्षेत्रों में सरल, उत्तरदायी और भविष्य-उन्मुख प्रशासनिक व्यवस्था तैयार करनी होगी। उन्होंने बताया कि हरित और स्वच्छ छावनियों का निर्माण, जल संरक्षण, और वैज्ञानिक तरीके से कचरा प्रबंधन यह साबित करता है कि सुरक्षा और सतत विकास एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं। यह मॉडल आगे चलकर अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है।
उन्होंने रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयास उल्लेखनीय हैं। छावनी क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे आधुनिक क्षेत्रों में भी आगे बढ़ रहे हैं, जो बदलते वैश्विक परिदृश्य में अत्यंत आवश्यक है। परंपरा और तकनीक के बीच संतुलन बनाए रखना आज की सबसे बड़ी जरूरत है, और रक्षा संपदा संगठन का डिजिटल परिवर्तन इसी सोच को दर्शाता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा संपदा संगठन ने स्वयं को केवल फाइलों और नियमों तक सीमित न रखकर देश के समग्र विकास से जोड़ा है, जो गर्व का विषय है। उन्होंने इंडियन डिफेंस एस्टेट सर्विस के योगदान की सराहना करते हुए बताया कि यह सेवा दो सौ वर्षों से अधिक समय से अपनी परंपरा और विरासत के माध्यम से राष्ट्र की सेवा कर रही है।
उन्होंने कहा कि रक्षा संपदा विभाग देश भर में 17 लाख एकड़ से अधिक रक्षा भूमि का प्रबंधन करता है, जो एक अत्यंत महत्वपूर्ण और जिम्मेदार कार्य है। यह भूमि केवल जमीन का हिस्सा नहीं, बल्कि देश की रक्षा व्यवस्था की बुनियाद है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी देश की ताकत सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि उसके प्रशासन, व्यवस्था और मूल्यों से तय होती है। ईमानदार, पारदर्शी और संवेदनशील प्रशासन राष्ट्र की सबसे मजबूत ढाल होता है। उन्होंने अधिकारियों से आह्वान किया कि वे अपनी जिम्मेदारी को केवल नौकरी न समझें, बल्कि राष्ट्र निर्माण का माध्यम मानें और निरंतर खुद को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करें।

