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टंडवा-सिमरिया मुख्य पथ स्थित धनगड्डा घाटी में शुक्रवार को हुए भीषण सड़क हादसे के बाद उपजा आक्रोश करीब 15 घंटे तक सड़क पर पसरा रहा। मुआवजे की मांग को लेकर मृतक सुरेन्द्र कुमार के परिजन सुबह 11 बजे से लेकर देर रात 12 बजे तक शव के साथ सड़क पर डटे रहे। इस दौरान, स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने सड़क जाम खुलवाने के लिए अथक प्रयास किए, लेकिन मृतक के आश्रितों को तत्काल सहायता राशि देने के लिए लाखों टन कोयले और राख का ढुलाई करने वाले बड़े ट्रांसपोर्टरों में से कोई भी आगे नहीं आया। यह स्थिति तब बनी, जब सड़क जाम होने से सबसे ज्यादा नुकसान उन्हीं ट्रांसपोर्टरों और उनके वाहनों को झेलना पड़ रहा था। कोयले और राख की ढुलाई करवाने वाले इन ट्रांसपोर्टरों का अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटना उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है।मामले को सुलझाने के लिए घंटों तक प्रयास किए गए। आखिरकार, थाना प्रभारी अनिल उरांव, प्रखंड विकास पदाधिकारी देवलाल उरांव, नवाडीह उर्फ तेलियाडीह पंचायत के मुखिया महावीर साहु, हाईवा एसोसिएशन के विजय साहू, सांसद प्रतिनिधि प्रेम विकास उर्फ मंटू सिंह, और ट्रक एसोसिएशन के प्रकाश यादव के संयुक्त सहयोग से पहल की गई। इन लोगों के सहयोग से मृतक के आश्रितों को एक लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई। इस सहमति के बाद, घटना के करीब 15 घंटे बीत जाने के बाद, आधी रात को सड़क से जाम को हटाया गया और यातायात बहाल हो सका।गौरतलब है कि शुक्रवार की अहले सुबह तेज रफ्तार ट्रक की चपेट में आने से जोरदाग गांव निवासी 22 वर्षीय सुरेन्द्र कुमार की मौत हो गई थी। सड़क जाम के दौरान, हाईवा के ट्रांसपोर्टरों ने शुरुआत में मुआवजे में सहयोग करने से साफ इंकार कर दिया था। हर बार की तरह दुर्घटनाओं के बाद जिस तरीके से सभी ट्रांसपोर्टरों ने मुंह छिपाने का प्रयास किया, उससे पुलिस प्रशासन की टीम को आधी रात तक परेशानियों का सामना करना पड़ा, प्रशासन के समक्ष यह स्थिति सकारात्मक नहीं है।

