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बिजली वितरण कंपनी की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हालिया ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया है कि कंपनी के पास उपभोक्ताओं से ली गई सुरक्षा जमा राशि (सिक्योरिटी डिपोजिट) और उस पर देय ब्याज का पूरा और स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1,472.14 करोड़ रुपये की सुरक्षा जमा राशि में से केवल 936.23 करोड़ रुपये का ही विवरण मिल सका है, जबकि शेष 535.91 करोड़ रुपये का कोई स्पष्ट ब्योरा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को देय 764.34 करोड़ रुपये के ब्याज का उपभोक्तावार प्रमाण भी प्रस्तुत नहीं किया जा सका है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि कनेक्शन काटे गए उपभोक्ताओं को 3.64 करोड़ रुपये की राशि लौटाई गई, लेकिन इस भुगतान का भी पार्टीवार विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया।
बिजली खरीद और परिसंपत्तियों में भी खामियां
बिजली वितरण कंपनी ने बिजली खरीद पर कुल 9,189.28 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें से 2,217.43 करोड़ रुपये के भुगतान का कोई ठोस और स्पष्ट प्रमाण ऑडिट में नहीं मिला। इसी तरह अन्य गैर-चालू देनदारियों में 355.70 करोड़ रुपये का विवरण भी अधूरा पाया गया।
ऑडिट में यह भी सामने आया कि कंपनी ने अपनी अचल परिसंपत्तियों का कोई समुचित रजिस्टर नहीं रखा है और न ही परिसंपत्तियों का भौतिक सत्यापन किया गया है, जिससे परिसंपत्ति प्रबंधन पर गंभीर प्रश्न उठते हैं।
प्रीपेड मीटर और लेखांकन मानकों पर सवाल
रिपोर्ट में प्रीपेड मीटर से जुड़े मामलों में भी अनियमितताओं की ओर इशारा किया गया है। प्रीपेड मीटर लगाए जाने के दौरान सुरक्षा जमा राशि का बकाया से समायोजन किया गया, जिससे सुरक्षा जमा देय और उपभोक्ता बकाया दोनों में कमी दर्ज की गई। असमायोजित राशि को ग्राहक वॉलेट बैलेंस में स्थानांतरित कर “उपभोक्ताओं से अग्रिम” के रूप में दर्शाया गया।
इसके अलावा भूमि और भवन से जुड़े अधिकार, स्वामित्व और हितों का स्पष्ट प्रस्तुतीकरण नहीं किया गया है। मूल्यह्रास का निर्धारण इंड एएस-36 के अनुरूप नहीं पाया गया, वहीं उधार लागत को आनुपातिक आधार पर पूंजीकृत किया गया, जो इंड एएस-23 के प्रावधानों के विपरीत है।
सीडब्ल्यआइपी और ऋण विवरण भी अधूरे
ऑडिट में यह भी बताया गया कि निर्माणाधीन कार्य (CWIP) की कुल राशि 1,55,996.05 लाख रुपये में से 740.90 लाख रुपये का योजनावार विवरण उपलब्ध नहीं है। साथ ही, ओवरहेड्स और आकस्मिक व्यय को सीडब्ल्यआइपी में पूंजीकृत नहीं किया गया। सुरक्षित ऋण के मामलों में भी संबंधित संपत्तियों का समुचित विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है।
यह ऑडिट रिपोर्ट बिजली वितरण कंपनी की वित्तीय पारदर्शिता और लेखा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है और भविष्य में जांच व सुधारात्मक कदमों की जरूरत को रेखांकित करती है।

