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भारतीय जनता पार्टी के झारखंड प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कांग्रेस पार्टी पर तीखा प्रहार करते हुए उसे देश की “ओरिजिनल वोट चोर पार्टी” बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का राजनीतिक इतिहास लोकतांत्रिक मर्यादाओं के पालन का नहीं, बल्कि संस्थाओं के दुरुपयोग और जनमत की अनदेखी का रहा है।
प्रतुल शाहदेव ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाए जा रहे सवालों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आते हैं तो लोकतंत्र पर सवाल खड़े किए जाते हैं, लेकिन जब विपक्ष जीतता है तो उसी प्रक्रिया को लोकतंत्र की विजय बताया जाता है। उन्होंने इसे कांग्रेस की दोहरी राजनीति करार दिया।
कांग्रेस के अतीत पर उठाए सवाल
भाजपा प्रवक्ता ने कांग्रेस के इतिहास से जुड़े कई प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उस पर आरोप लगाए—
- नेहरू–पटेल प्रसंग: शाहदेव ने कहा कि आजादी के बाद प्रधानमंत्री पद के चयन में कांग्रेस की अधिकांश प्रांतीय समितियों ने सरदार वल्लभभाई पटेल का समर्थन किया था, लेकिन परिस्थितियां बदलकर जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया। उन्होंने इसे जनमत की अनदेखी का उदाहरण बताया।
- इंदिरा गांधी का चुनाव मामला: 1971 के लोकसभा चुनाव से जुड़े मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकारी तंत्र के दुरुपयोग के आधार पर इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध ठहराया था।
- आपातकाल का दौर: 1975 में लगाए गए आपातकाल को शाहदेव ने लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात बताते हुए कहा कि इस दौरान चुनाव टालकर जनता के मौलिक अधिकारों को सीमित किया गया।
- सोनिया गांधी से जुड़ा विवाद: उन्होंने मतदाता सूची और नागरिकता से जुड़े पुराने विवाद का भी उल्लेख किया, जिसे लेकर हाल के समय में न्यायिक प्रक्रिया का हवाला दिया गया है।
ईवीएम पर विपक्ष के आरोपों पर जवाब
ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर उठ रहे सवालों पर प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 2014 के बाद देश में हुए 74 विधानसभा चुनावों में एनडीए ने 44 में जीत दर्ज की, जबकि विपक्षी दलों ने भी 30 चुनाव जीते। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि ईवीएम में गड़बड़ी होती तो विपक्ष को ये सफलताएं कैसे मिलतीं।
शाहदेव ने आरोप लगाया कि विपक्ष हार की स्थिति में बहाने तलाशता है और जीत मिलने पर उसी चुनावी व्यवस्था को स्वीकार कर लेता है।

