नयी दिल्ली,26 फरवरी (लाइव 7) देशभर में बुधवार को महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया गया और इस मौके पर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर सहित विभिन्न शिवालयों में लुओं की भीड़ उमड़ी। इससे साथ ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित विभिन्न नेताओं ने देशवासियों को बधाई दी।
सद्गुरु के कोयंबटूर स्थित ईशा फाउंडेशन में प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष समारोह का आयोजन किया गया है। यहां उत्सव महाशिवरात्रि की शाम से शुरू होता है और सुबह तक चलता है।केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए वहां पहुंचे हैं।
महाशिवरात्रि के अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता चांदनी चौक स्थित गौरी शंकर मंदिर पहुंची और पूजा-अर्चना की। इस मौके पर सांसद प्रवीण खंडेलवाल, दिल्ली भाजपा के मीडिया प्रमुख एवं प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर, श्री भूपेंद्र गोठवाल, श्री सतीश जैन आदि मौजूद रहे। मंदिर समिति की ओर से श्री सुभाष गोयल और श्री बल गर्ग तथा पुजारियों ने मुख्यमंत्री को आशीर्वाद दिया और उनका अभिनंदन किया। श्री गौरी शंकर मंदिर में रुद्राभिषेक करने बाद श्रीमती गुप्ता ने आगंतुक पुस्तिका में लिखा, “हर हर महादेव।”
इस मौके पर उन्होंने कहा, “मेरी ओर से समस्त भारतवासियों को शिवरात्रि के इस महापर्व की बहुत सारी शुभकामनाएं और बधाई। मैं प्रार्थना करती हूं कि भोलेनाथ और मां गौरी का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे और दिल्ली और देश तरक्की करे।”
श्री खंडेलवाल ने कहा, “शिवरात्रि भारतीय संस्कृति का बहुत बड़ा पर्व है। आज दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मैंने दिल्ली के गौरी शंकर मंदिर में पूजा-अर्चना की है। महाशिवरात्रि का पर्व सभी के लिए मंगलमय हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत प्रगति करे, यही कामना हमने प्रभु शिव से की है।”
महाकुंभ के महाशिवरात्रि पर अंतिम अमृत स्नान करने वाले लुओं के अनुभव को यादगार बनाने के लिए हेलीकॉप्टर के जरिए पांच से छह चक्र में 20 क्विंटल पुष्प वर्षा कराई गई। इसकी शुरुआत सुबह आठ बजे से ही हो गई, जब बड़ी संख्या में लु संगम के विभिन्न तटों पर स्नान कर रहे थे। आसमान से गुलाब की पंखुड़ियों की बारिश देख संगम तट पर मौजूद लुओं ने अभिभूत होकर जय श्री , हर हर महादेव, गंगा मइया और तीर्थराज के जयकारे लगाए।
महाकुंभ का महाशिवरात्रि अंतिम महत्वपूर्ण स्नान पर्व है। मंगलवार की रात से ही संगम तट पर लाखों लुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया। उपनिदेशक उद्यान, प्रयागराज मंडल कृष्ण मोहन चौधरी ने बताया कि लुओं की भारी संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पुष्प वर्षा की तैयारी पहले ही कर ली गई थी। सभी लुओं पर पुष्प वर्षा के लिए लगभग 20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों की व्यवस्था की गई थी।
पुष्प वर्षा के प्रभारी वी के सिंह ने बताया कि त्रिवेणी संगम सहित कई घाटों पर स्नान कर रहे लुओं पर पांच से छह चक्र पुष्प वर्षा की गई। पहले राउंड का आयोजन सुबह आठ बजे से शुरू हुआ। इसके तहत, हेलीकॉप्टर के जरिए लुओं पर पुष्प वर्षा की गई। यह नजारा जहां लुओं के लिए अद्वितीय रहा, वहीं महाकुंभ की दिव्यता को और बढ़ाने वाला भी रहा। हर चक्र के लिए गुलाब की पंखुड़ियों को व्यवस्थित रूप से पहले से ही अलग-अलग तैयार कर रखा गया था।
उन्होंने कहा कि योगी सरकार के निर्देश पर सभी अमृत स्नान और स्नान पर्व पर 20-20 क्विंटल पुष्प वर्षा कराई गई है। महाकुंभ मेले के पहले स्नान से लेकर महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के दौरान अब तक लगभग 120 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियों की लुओं पर वर्षा किया गया है। पुष्प वर्षा के जरिए लुओं को सम्मानित और स्वागत करते हुए उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माहौल प्रदान किया गया है।
महाकुंभ में महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में देश-विदेश से आए लुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। लंदन, ब्राजील, मेक्सिको और अमेरिका समेत दुनिया के कई अन्य देशों से आए लुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में पवित्र स्नान किया और भारतीय संस्कृति की गहराई को करीब से महसूस किया। इन विदेशी लुओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए इसे जीवन का अविस्मरणीय पल बताया।
उल्लेखनीय है कि 13 जनवरी से 26 फरवरी के मध्य आयोजित किए गए महाकुम्भ ने विश्व भर से करोड़ों लुओं को अपनी ओर आकर्षित किया। विदेशी भक्तों के अनुभव इस बात के प्रमाण हैं कि महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आतिथ्य का वैश्विक मंच भी बन गया है।
लंदन से आईं एक लु ने भावुक होकर कहा, “यहां आकर मुझे बहुत खुशी और शांति मिली। भीड़ का माहौल अनुभव करने लायक है, यह अद्भुत है। आज हर कोई उत्सव मना रहा है, यह मेरे पिछले दिनों से भी ज्यादा खास लग रहा है। मैंने इसे जीवन में एक बार मिलने वाला मौका समझा और अपनी सारी योजनाएं रद्द करके यहां आ गई। यह मेरे लिए इतना महत्वपूर्ण था।”
उन्होंने कहा, “यहां के लोग बहुत स्वागत करने वाले और दोस्ताना व्यवहार वाले हैं। मैं भारतीय संस्कृति और रोजमर्रा की होने वाली पूजा-अर्चना के महत्व के बारे में बहुत कुछ सीख रही हूं। यह देखना भी खूबसूरत है कि लोग गंगा का जल अपने परिवार के उन सदस्यों के लिए ले जा रहे हैं जो यहां नहीं आ सके। मैंने महाकुंभ के बारे में सोशल मीडिया और दोस्तों से जाना।”
ब्राजील से आईं डेनियल ने उत्साह से कहा, “यह एक अद्भुत और अविस्मरणीय अनुभव है। हम बहुत दूर से आए हैं और इसे अपने लोगों और देश को दिखाने के लिए उत्साहित हैं। पूरा कुम्भ मेला कमाल का है। लोग बहुत दोस्ताना और स्वागत करने वाले हैं।” डेनियल ने बताया कि उन्हें महाकुम्भ के बारे में अपने बॉस से पता चला, जो 12 साल पहले कुम्भ मेले को कवर कर चुके थे। उन्होंने कहा, ”यह मेरा पहला अनुभव था और यह शानदार रहा।”
ब्राजील से ही आए काको बार्सेलोना ने कहा, “हम लोगों के साथ यहां होने के लिए लंबा सफर तय करके आए हैं। यह इतिहास का सबसे बड़ा मानव समागम है। यहां लोगों की भावनाएं बहुत प्रबल हैं। भारतीय लोगों की मुस्कान अद्भुत है। उनके शब्दों में भारतीय आतिथ्य और आध्यात्मिक ऊर्जा की गहरी छाप झलकती है।”
मेक्सिको और अमेरिका से आए एक समूह ने भी त्रिवेणी संगम में स्नान किया। समूह की एक सदस्य एना ने कहा, “मैं अपने समुदाय के एक समूह के साथ यहां आई हूं। हमारे ग्रुप में मेक्सिको, कोलंबिया और इटली के लोग शामिल हैं। इतनी भक्ति को देखकर ‘वाह’ जैसा अहसास हो रहा है। हमने यहां लोगों की दयालुता देखी। हर कोई बहुत स्वागत करने वाला है। यही हमारा सबसे बड़ा सबक है।”
एना ने भी अन्य विदेशी लुओं की तरह ही भारतीय मेजबानी और आध्यात्मिक माहौल की जमकर तारीफ की।
तीर्थराज प्रयागराज में महाशिवरात्रि पर्व पर शिवालयों पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। भोर से ही भक्तों की कतार लग गई और हर-हर महादेव के जयकारों की गूंज रही। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। यह शिव शंकर की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। लु प्रात:काल से ही स्नान कर अपने हाथ में पान, फूल, विल्वपत्र, धतूरा, मदार, दूर्वा आदि लेकर कतार में अपना नम्बर आने के इंतजार में ऊं नम शिवाय का निरंतर जप किए जा रहे हैं। मंदिरों में लंम्बी कतार लगी है। मंदिरों में घंट, घडियाल और शंख की ध्वनि वातावरण को आध्यात्मिकता से लबरेज कर रही है। तमाम शिव मंदिरों में महादेव का अभिषेक कराया जा रहा है।
प्रयागराज में यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह करीब 200 वर्ष प्राचीन और महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक है, जो शहर के मध्य स्थित है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां की पूजा से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है। यह मंदिर कामेश्वर और कामेश्वरी का तीर्थ है। इस मंदिर में ऋण मुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव का शिवलिंग भी है। इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। यहां दूर दराज से शिवभक्त जलाधिभेक करने आते हैं। यह मंदिर नैनी ब्रिज के पास स्थित है।
प्रयागराज के घूरपुर थाना क्षेत्र के देवरिया गांव में यमुना नदी के किनारे सुजावन देव मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव और माता यमुना को समर्पित है। यह मंदिर विशेष रूप से उस स्थान पर स्थित है जहां स्थानीय लोग पूजा करते हैं। मंदिर में नियमित रूप से विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं। यह मंदिर भक्तों के लिए शांति और आशीर्वाद का स्थान है, जहां वे भगवान शिव की उपासना करके अपने जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाते हैं। प्रशासन ने सुरक्षा का विशेष प्रबंध किया है। यहां महिलाओं के लिए मंदिर में दर्शन पूजन के लिए अलग और अलग लाइन की व्यवस्था किया है।
महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए लुओं का अपार जनसैलाब उमड़ पड़ा है। इस बार करीब 25 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है, जो पिछले सभी रिकॉर्ड को पार कर रहा है। आधी रात से ही मंदिर के बाहर तीन किलोमीटर लंबी कतारें लगी हैं और बाबा विश्वनाथ लगातार 46 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन को सुव्यवस्थित बनाने में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर उच्चाधिकारी लगातार क्षेत्र का दौरा करके हालात का जायजा लेते दिखे।
महाशिवरात्रि का यह उत्सव काशी में उस समय और भी खास हो गया, जब महाकुम्भ का पलट प्रवाह यहां देखने को मिला। कुम्भ और महाशिवरात्रि का यह संयोग वर्षों बाद बना है, जिसने लुओं की संख्या को अभूतपूर्व स्तर पर पहुंचा दिया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंदिर न्यास और जिला प्रशासन ने इस अपार जनसमूह को संभालने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। काशी विश्वनाथ धाम परिक्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए पुलिस, अर्धसैनिक बल, एटीएस कमांडो और एसटीएफ तैनात हैं। उच्चाधिकारी लगातार क्षेत्र का दौरा करके हालात का जायजा ले रहे हैं।
काशी में महाशिवरात्रि पर अखाड़ों की शोभायात्रा भी इस बार भव्यता के साथ निकली। जूना अखाड़े के नागा साधु त्रिशूल, तलवार और गदा लेकर हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए निकले। पेशवाई का स्वागत फूलों की वर्षा और माल्यार्पण के साथ किया गया। काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार पर मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल, जिलाधिकारी एस राजलिंगम सहित आला अधिकारियों ने नागा साधुओं का अभिनंदन किया।
लुओं की सुविधा के लिए वीआईपी और प्रोटोकॉल को निरस्त कर दिया गया है, ताकि हर भक्त को बाबा के दर्शन का समान अवसर मिले। मंगलवार रात 2:15 बजे मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट खोले गए और बाबा को दूल्हे की तरह सजाया गया। वहीं काशी के गंगा घाटों पर महाशिवरात्रि के पर्व पर बड़ी संख्या में स्नानार्थियों ने पहुंचकर पुण्य की डुबकी लगाई। वरिष्ठ अफसरों की देखरेख में किए गए इंतजाम न केवल लुओं के लिए सुखद अनुभव बना रहे हैं, बल्कि काशी की वैश्विक पहचान को भी मजबूत कर रहे हैं।
गोरक्षपीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बुधवार को रुद्राभिषेक कर देवाधिदेव महादेव से लोक मंगल और राष्ट्र कल्याण की प्रार्थना की।
रुद्राभिषेक गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर आवास में स्थित शक्ति मंदिर में हुआ। महाशिवरात्रि पर विशेष उपासना के क्रम में बुधवार सुबह मुख्यमंत्री ने शक्ति मंदिर में भगवान भोले
शंकर का गोदुग्ध से रुद्राभिषेक किया। मठ के पुरोहित एवं वेदपाठी ब्राह्मणों ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कराया। रुद्राभिषेक के बाद योगी ने हवन तथा आरती कर चराचर जगत के कल्याण के लिए आदियोगी महादेव से प्रार्थना की। अनुष्ठान का यह कार्य दो घंटे से अधिक समय तक चला।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित शिव मंदिर में भी पूजन किया। उन्होंने यहां भगवान नंदी का पूजन करके भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया। रुद्राभिषेक के बाद मुख्यमंत्री ने हवन करके गोरक्षपीठ में शिवोपासना का अनुष्ठान पूर्ण किया।
उल्लेखनीय है कि नाथपंथ की परंपरा में गुरु गोरखनाथ सबका कल्याण करने वाले भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। गोरखनाथ मंदिर के मूल में भी लोक कल्याण एवं लोक मंगल की ही भावना है। ऐसे में गोरक्षपीठाधीश्वर योगी के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बेहद महत्वपूर्ण होता है
उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाके देवरिया से करीब 20 किमी दूर रूद्रपुर में छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध स्वयंभू शिवलिंग का दुग्धेश्वर नाथ मंदिर में भक्तों ने शिवरात्रि के अवसर पर झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के तर्ज पर चोंगा के माध्यम से बाबा का दूर से जलाभिषेक किया। अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध यहां के शिवलिंग पर भक्त बुधवार को भोर से ही जलाभिषेक के लिए हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए जलाभिषेक कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने शिवरात्रि में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए भक्तों को शिवलिंग के स्पर्श करने के लिए 14 सीढ़ियां नीचे उतरकर पूजा अर्चना करने के बजाय दूर से ही चोंगा के माध्यम से जलाभिषेक करने का निर्देश दिया है। अभीतक यहाँ करीब चार लाख लोग बाबा का जलाभिषेक कर चुके हैं। इसी तरह जिले में भक्त आज भोर से ही दीर्घश्वर नाथ मंदिर मझौली राज, देवरिया का सोमनाथ मंदिर, महेन्द्रानाथ मंदिर, फुलेसरा नाथ मंदिर सहित अनेक शिवालयों पर हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए बाबा का जलाभिषेक कर पूजन अर्चन कर रहे हैं। आज के दिन शिवालयों को अधिक भव्य रूप से सजाया गया है।
महाशिवरात्रि पर्व को देखते हुए देवरिया जिले के सभी प्रमुख शिव मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों पर पुलिस एवं प्रशासन द्वारा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की गई है। लुओं को निर्बाध रूप से पूजा-अर्चना एवं दर्शन कराने के लिए व्यापक स्तर पर इंतज़ाम किए गए हैं, जिससे किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल और पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर द्वारा शिवालयों का भ्रमण किया जा रहा है। सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए संवेदनशील स्थानों पर विशेष सतर्कता बरती जा रही है और ड्रोन कैमरों के माध्यम से निगरानी की जा रही है।
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के शीतला धाम कड़ा में गंगाके सुरम्य तट पर स्थित महाकालेश्वर की खंडित शिवलिंग में महाशिवरात्रि के अवसर पर बुधवार को जलाभिषेक और पूजा अर्चनाके लिए शिव भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
हजारों की संख्या में भक्तों ने जलाभिषेक कर पुण्य फल प्राप्त किया। यह विश्व का पहला ऐसा शिवलिंग है जो खंडित है पर उसकी पूजा अर्चना हो रही है। कहा जाता है कि जब पांडव 12 वर्ष वनवास में बिता रहे थे तब शीतला धाम कड़ा आए थे। उस समय यहां विशाल जंगलथा महाराज युधिष्ठिर यहां महाकालेश्वरगंगा घाट पर शिवलिंग स्थापित गंगाजल से जलाभिषेक करने के बाद पूजा अर्चना की थी और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
यहां स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग की चमत्कारी ख्याति सुनकर औरंगजेब ने सैनिकों की टोली शिवलिंग तोड़ने के लिए शीतला धाम कड़ा भेजा था। बताया जाता है कि सैनिकों ने शिवलिंग पर तलवार से प्रहार किया जिसमें शिवलिंग क्षतिग्रस्त हो गया था। इसी दौरान शिवलिंग से मधुमक्खियों का झुंड निकला और औरंगजेब के सैनिकों पर आक्रमण कर दिया। सैनिक मौके से भाग निकले यह जानकारी बादशाह औरंगजेब तक पहुंची वह घबरा गया और सैनिकों को आदेश दिया कि दोबारा शिवलिंग के पास नहीं जाएंगे।
तभी से खंडित शिवलिंग की भक्तों द्वारा अनवरत जलाभिषेक और पूजा अर्चना का कर्म चल रहा है। अनादि काल से महाकालेश्वर आश्रम में साधकों द्वारा साधना एवं तपस्या की परंपरा जारी है।
महाशिवरात्रि पर्व पर जहां लाखों की संख्या में लु शिवालयों में जलाभिषेक कर रहे हैं वहीं बुधवार को कई लाख लोगों ने हर की पौड़ी सहित विभिन्न घाटों पर स्नान किया। आज विभिन्न प्रदेशों से आए लु भोर होते ही घाटों पर जुटना शुरू हो गए थे और जैसे-जैसे दिन निकलता गया लुओं की संख्या में वृद्धि होती गई। हरिद्वार में कई दिनों से कांवड़ मेला भी चल रहा है जिसका समापन आज हो गया लाखों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार से जल लेकर अपने-अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं और आज अपने अभीष्ट सवालों में जल चढ़ा रहे हैं।
लुओं का कहना है कि आज प्रयागराज में शिवरात्रि का बाद स्नान है वह किसी वजह से वहां नहीं जा पाए इसलिए हरिद्वार जाकर गंगा स्नान कर रहे हैं उनका कहना है कि हरिद्वार में भी कुंभ जैसे आयोजन होते हैं। यहां पर स्नान करने से उतने ही फल की प्राप्ति होती है जितना उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है इसलिए वह अपने परिवार जनों के साथ या स्नान करने आए और यहां की व्यवस्थाओं के बारे में भी उन्होंने प्रशासन एवं सरकार की भूरि भूरि प्रशंसा की।
शिवरात्रि महापर्व पर हरिद्वार के विभिन्न शिव मंदिरों में लुओं ने भोलेनाथ का जलाभिषेक करके पूजा अर्चना की। हरिद्वार के प्रसिद्ध मंदिरों बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर दक्ष प्रजापति मंदिर गौरीशंकर मंदिर नीलेश्वर मंदिर सहित विभिन्न शिवालायो में सुबह से ही लुओं की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। हर तरफ ‘हर-हर महादेव’ व ‘बम-बम’ भोले के जय घोष सुनाई दे रहे थे।
बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी पुनीत पुरी महाराज का कहना है कि पुराणों में वर्णित है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर में बिल्व के पेड़ के नीचे कई हजार साल तक तपस्या की थी। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनसे विवाह किया था। मान्यता के अनुसार आज के दिन शिवालय में जल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
संन्यासी दिगंबर सुधीर पुरी महाराज का कहना है कि शिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण करने और चार पहर की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन दूध-दही और शहद से भोलेनाथ को स्नान करने का विशेष महत्व है। लोग अपनी अनुसार भगवान शिव पर कुछ भी अर्पित कर सकते हैं और भगवान को गंगाजल विशेष प्रिय है। अतः गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर भी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
महाशिवरात्रि (‘जागर अमावस्या’ के नाम से भी विख्यात) के पावन अवसर पर बुधवार को ओडिशा के शिव मंदिरों में लाखों की संख्या में लु उमड़े। भगवान शिव को समर्पित यह त्योहार राज्य के सभी शिव मंदिरों में बड़े उत्साह और धार्मिक उल्लास के साथ मनाया गया। सुबह से ही काफी संख्या में भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए पवित्र जल, फूल और बेलपत्र लेकर राज्य भर के प्रमुख शिव मंदिरों के सामने लंबी कतारों में खड़े देखे गए।
पुरी के लोकनाथ मंदिर, भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर, कटक के धबलेश्वर मंदिर, ढेंकनाल के कपिलाश मंदिर, कोरापुट के गुप्तेश्वर मंदिर, बालासोर के चंदनेश्वर मंदिर, भद्रक के अखंडलामणि मंदिर और बलांगीर के नृसिंहनाथ मंदिर जैसे प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। इन स्थानों पर जिला प्रशासन ने भक्तों के लिए सुचारू दर्शन सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की थी और बैरिकेड्स लगाए थे। तीर्थ नगरी पुरी में लोकनाथ मंदिर, बाली कपिलेश्वर, बेलेश्वर, जोदालिंगा, भबकुंडलेश्वर और जिले के कई अन्य शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। इस अवसर पर अधिकांश शिव मंदिरों को नया रूप दिया गया और रोशनी से सजाया गया। समारोह के दौरान भजन कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
परंपरा के अनुसार बड़ी संख्या में भक्तों मंदिर परिसर में दीये जलाए और रात भर जागरण किया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुबह तक दीये जलते रहें। रात में, सेवकों के एक विशेष समूह ने महादीप (एक विशाल मिट्टी का दीपक) मंदिर के शीर्ष पर उठाया। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों ने शिव मंदिर के ऊपर महादीप रखने के बाद ही व्रत तोड़ा।
राज्य भर के महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में भारी पुलिस तैनाती की गई थी और भीड़ को नियंत्रित करने और असामाजिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार सुबह से ही, भक्त शिव लिंगम पर पवित्र जल, फूल और बेल के पत्ते चढ़ाने के लिए राज्य भर के प्रसिद्ध शिव मंदिरों के सामने कतारों में खड़े देखे गए। भक्तों की भारी भीड़ को प्रबंधित करने के लिए भुवनेश्वर में पुलिस बलों की लगभग 40 टुकड़ियाँ तैनात की गईं।
महाराष्ट्र में बुधवार को मराठवाड़ा क्षेत्र के सभी आठ जिलों में हर्षोल्लास के साथ महाशिवरात्रि का पर्व मनाया गया।
छत्रपति संभाजीनगर शहर के खड़केश्वर इलाके में स्थित शिव मंदिर में सुबह से ही लुओं की भारी भीड़ उमड़ी। लुओं ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया और पूजा-अर्चना की। इस जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूर वेरुल (एलोरा) कस्बे में आज सुबह से ही हजारों लोग घृष्णेश्वर मंदिर में महादेव के दर्शन करने पहुंचे। यह शहर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल एलोरा गुफाओं से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घृष्णेश्वर मंदिर में स्थापित ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए मराठवाड़ा के पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में बुधवार को बारिश के बीच धार्मिक उत्साह के साथ मनाए जा रहे महा शिवरात्रि के पर्व पर बड़ी संख्या में लु शंकराचार्य मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए पहुंचे। कश्मीर में शिवरात्रि को स्थानीय रूप से ‘हेराथ’ के नाम से जाना जाता है और अपनी अनूठी परंपराओं के हिस्से के रूप में पंडित रात भर प्रार्थना करते हैं और अखरोट चढ़ाते हैं, जिन्हें एक पवित्र अनुष्ठान के रूप में वटुक (मिट्टी के बर्तन) में रखा जाता है।
श्रीनगर के सुरम्य डल झील के सामने एक पहाड़ी पर स्थित शंकराचार्य मंदिर की सीढ़ियों पर खराब मौसम के बावजूद पुरुष, महिलाएं और बच्चों समेत पर्यटक और लु धैर्यपूर्वक कतार में खड़े नजर आ रहे हैं। सुबह से हो रही बारिश और घने कोहरे का सामना करते हुए वे पूजा अर्चना करने के लिए अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
शहर में अधिकारियों ने मंदिर और अन्य पूजा स्थलों पर भक्तों के लिए सुचारू और परेशानी मुक्त यात्रा की सुविधा के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है। मुंबई, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली से आए पर्यटकों का एक समूह ठंड के बावजूद सुबह ही मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंच गये।
केन्द्रशासित प्रदेश के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कई नेताओं ने लोगों को महा शिवरात्रि की शुभकामनाएं दी हैं।
बिहार में महाशिवरात्रि धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। अलग-अलग जिलों के शिवालय में सुबह से ही लुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा है।सुबह से ही भक्त गण शिवालय में जाकर जलाभिषेक कर रहे हैं। सुबह से शिवालय में लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही है। पूरे बिहार के शिव मंदिरों में हर-हर महादेव की गूंज है। लु भगवान शिव और माता पार्वती के जयकारे लगा रहे हैं। इस मौके पर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, गन्ने का रस, शहद, गंगाजल, धतूरा, आक का फूल, भांग, बेर, बेलपत्र आदि अर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि आज शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, बेर आदि चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा मिलती है तथा मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कुंवारी लड़कियां आज के दिन बेलपत्र चढ़ा कर भगवान भोलेनाथ को खुश करती हैं।आज के दिन अधिकांश महिलाएं और लड़कियां उपवास करती हैं।महाशिवरात्रि को लेकर मंदिरों में पूजन, जलाभिषेक, रूद्राभिषेक के लिए खास इंतजाम किए गए हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के प्राचीन बड़वाले महादेव मंदिर पूजा-अर्चना की और भगवान भोलेनाथ का रथ खींचा। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, “आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर भोपाल के प्राचीन बड़वाले महादेव मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना की तथा दिव्य-भव्य शिव बारात में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।देवाधिदेव महादेव की कृपा हर घर-आंगन में बनी रहे, हर घर में सुख, समृद्धि व खुशहाली हो; यही प्रार्थना है।ॐ नमः शिवाय!”
झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ का मंदिर और आसपास के क्षेत्र बम -बम भोले के नारे से गुंजायमान है। भक्त शिव लिंग पर गंगा जल चढ़ाने के लिए तड़के से कतार में लगे रहे। इस मंदिर में मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भक्तों द्वारा धरना देने की भी प्रथा है। मंदिर परिसर में उनके लिए विशेष स्थान भी चिह्नित किया गया है जहां धारनाधारी बाबा के ध्यान में अपने आसन पर बैठे या लेटे नजर आते हैं। लुओं की बाबा भोले के प्रति आस्था देखते ही बनती है।
संतोष,
लाइव 7
महाशिवरात्रि की धूम, हर तरफ ‘हर-हर बम बम’

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