नयी दिल्ली, 09 दिसंबर (लाइव 7) बॉलीवुड के जानेमाने हास्य कलकार राजपाल यादव का कहना है कि हम अक्सर किसी अच्छे की प्रतीक्षा की जटिलता में जीते हैं, लेकिन यदि हम जो है उसे स्वीकार करें, तो सबसे अच्छा अपने आप आएगा।
इस साल दिल्ली के प्रतिष्ठित सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में आयोजित इस फेस्टिवल में अचीवर्स टॉक्स, इन कन्वर्सेशन, मास्टर क्लासेस और पैनल डिस्कशन्स जैसे कई प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित किए गए।फेस्टिवल का एक प्रमुख आकर्षण अभिनेता राजपाल यादव के साथ हुआ एक खास सत्र था। इस सत्र के बाद उन्होंने पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के साथ फिल्म “सन ऑफ हिमालय” पर चर्चा भी की।
सत्र के दौरान, राजपाल यादव ने कला और जीवन पर अपने विचार साझा करते हुए कहा,किसी कलाकार की सीमाओं को नापा नहीं जा सकता, उन्हें अनुभव किया जाता है। पहले कला को समझो, फिर उसे रचो। कला एक जीवन जीने का तरीका है। कहानियां कभी छोटी नहीं होतीं, हम उन्हें छोटा बना देते हैं। हर स्ट्रोक, हर शब्द और हर सुर में दुनिया बदलने की ताकत होती है।
राजपाल यादव ने कहा,मैं किसान का बेटा हूं, और बुढ़ापे में खेती में वापस लौटना चाहता हूं। हम अक्सर किसी अच्छे की प्रतीक्षा की जटिलता में जीते हैं, लेकिन यदि हम जो है उसे स्वीकार करें, तो सबसे अच्छा अपने आप आएगा।
यह पैनल डिस्कशन, जिसे करण सिंह छाबड़ा ने मॉडरेट किया, ने विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान का एक मंच तैयार किया और दर्शकों को सिनेमा की जोड़ने और बदलने की क्षमता का जश्न मनाने के लिए प्रेरित किया।
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