नयी दिल्ली 28 अगस्त (लाइव 7) केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ने के उद्देश्य से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया है।
श्री मोहन ने बुधवार को पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के यहां स्थित मुख्यालय में 54वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। इस अवसर पर आसूचना ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका, केंद्रीय पुलिस संगठनों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुखों के साथ-साथ गृह मंत्रालय और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
श्री मोहन ने ‘नए आपराधिक कानून-नागरिक केंद्रित सुधार’ विषय पर डॉ. आनंदस्वरूप गुप्ता स्मृति व्याख्यान दिया। गृह सचिव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए ‘पंच प्रण’ को ध्यान में रखते हुए उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ने और अपराध की विकसित प्रकृति से निपटने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। गृह सचिव ने कहा कि नए आपराधिक कानून पीड़ित-केंद्रित हैं और इन कानूनों का उद्देश्य सजा नहीं बल्कि न्याय देना है।
केंद्रीय गृह सचिव ने नये आपराधिक कानूनों की प्रमुख विशेषताओं और विभिन्न नए प्रावधानों, विशेष रूप से नागरिक अनुकूल प्रावधानों, जैसे कि जीरो एफ आई आर और ई एफ आई आर पर प्रकाश डाला। उन्होंने सजा के रूप में सामुदायिक सेवा की शुरूआत और पहली बार अपराध करने वालों के प्रति उदार व्यवहार जैसे प्रावधानों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नए कानूनों में संगठित अपराध और आतंकवाद को परिभाषित करने की शुरूआत हुई है, नए दंडों को परिभाषित किया गया है, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से निपटने पर जोर दिया गया है और साक्ष्य संग्रह तथा उनकी जांच के प्रति अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण जैसे कई नए प्रावधान भी पेश किए गए हैं।
श्री मोहन ने कहा कि इन कानूनों से फोरेंसिक का अधिक उपयोग, जांच प्रक्रिया डिजिटलीकरण, न्यायिक प्रक्रिया की समयसीमा निर्धारित करने के साथ ही पारदर्शिता, जवाबदेही और समय पर निवारण के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रभावी पुलिसिंग, प्रभावी कानून एवं व्यवस्था तथा अपराध एवं अपराधियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई आवश्यक है। पुलिस आधुनिकीकरण एवं उन्नयन में ब्यूरो की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ब्यूरो को बधाई देते हुए केन्द्रीय गृह सचिव ने संगठन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र केन्द्रीय पुलिस संगठन है जो अनुसंधान, आधुनिकीकरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के जरिए पुलिसिंग में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पुलिस के थिंक टैंक के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए अन्य सभी पुलिस संगठनों और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों को जोड़ता है। उन्होंने ब्यूरो द्वारा खासकर नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन के लिए प्रशिक्षण और प्रचार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप आपराधिक न्याय प्रणाली में 9 लाख से अधिक हितधारकों को प्रशिक्षण मिला है।
इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव ने नए आपराधिक कानूनों पर ब्यूरो के प्रमुख प्रकाशन इंडियन पुलिस जर्नल के विशेष संस्करण का विमोचन किया। उन्होंने नए आपराधिक कानूनों पर दूरदर्शन द्वारा निर्मित एक डॉक्यूमेंट्री भी जारी की।
केन्द्रीय गृह सचिव ने वर्ष 2023 और 2024 के लिए विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी प्रदान किए।
ब्यूरो के महानिदेशक राजीव कुमार शर्मा ने संगठन के निरंतर सहयोग और मार्गदर्शन के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।
अशोक
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समकालीन और प्रासंगिक न्यायप्रणाली समय की जरूरत: गोविंद मोहन
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