नयी दिल्ली 03 अक्टूबर (लाइव 7) सरकार ने प्राचीन भारतीय भाषाओं के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुई आज पांच भाषाओं मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही भारत की कुल 11 भाषाएं शास्त्रीय भाषाओं का दर्ज हासिल कर चुकी है। शास्त्रीय भाषा की श्रेणी भारत सरकार ने 2004 में बनाई थी और इसमें सबसे पहले तमिल को जगह दी गई थी।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शास्त्रीय भाषा का दर्जा हासिल होना महत्वपूर्ण है और इसमें जिन भाषाओं को शामिल किया जाता है वे सभी भाषाएं भारत की गहन और प्राचीन सांस्कृतिक विरासत की संरक्षक के रूप में हजारों वर्ष से काम कर रही होती हैं। ये भाषाएं प्रत्येक समुदाय की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का सार प्रस्तुत करती हैं।
उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने 2004 में ‘शास्त्रीय भाषाओं’ के रूप में भारतीय भाषाओं की एक नई श्रेणी बनाने का निर्णय लिया था और इसके तहत अब तक छह भाषाएं शामिल की जा चुकी हैं। इस श्रेणी में सबसे पहले 2004 में तमिल, 2005 संस्कृत, 2008 में तेलुगु और कन्नड़, 2013 में मलयालम और 2014 में उड़िया को शामिल किया गया था।
शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा उन भाषाओं को मिल रहा है जिनका लंबा इतिहास है , अपना मौलिक साहित्य रहा है और भाषा की लंबी परंपरा रही है।
श्री वैष्णव ने बताया कि इस श्रेणी में भारतीय भाषाओं को शामिल करने के लिए 2004 में सरकार ने भाषा विशेषज्ञों की समिति गठन की थी जिसने इस श्रेणी में शामिल होने वाली भाषाओं के लिए मानक निर्धारित किए थे जिनके आधार पर किसी भाषा का शास्त्रीय भाषा के रूप में वर्गीकरण किया जाता है। भारत सरकार से अब तक 11 भाषाओं को मान्यता मिली है।
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लाइव 7
मंत्रिमंडल ने पांच और भारतीय भाषाओं को दिया शास्त्रीय भाषा का दर्जा
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