नई दिल्ली, 04 फरवरी (लाइव 7) भारत का पहला माइक्रो ड् ा फेस्टिवल, थेस्पिस अपने चौथे संस्करण के साथ संपन्न हो गया,जिसने दर्शकों को कहानी कहने के अपने अनूठे प्रारूप से मंत्रमुग्ध कर दिया।
वृक्ष द थिएटर की ओर से आयोजित, इस महोत्सव ने खुद को माइक्रो ड् ा में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है, जिसमें अधिकतम दस मिनट की अवधि वाले छोटे नाटक दिखाए जाते हैं। अपने चौथे संस्करण में, महोत्सव ने लघु, प्रभावशाली प्रदर्शनों की अविश्वसनीय शक्ति देखी ,जिसमें प्रत्येक नाटक 10 मिनट से कम लंबा था। एक दिन में विभिन्न भारतीय भाषाओं के कुल 30 नाटक ने भाषाई विविधता का जश्न मनाया, जिसमें 600 से अधिक कलाकार शामिल हुये।
थेस्पिस के फेस्टिवल डायरेक्टर डॉ. अभिलाष पिल्लई ने कहा, मुझे 2017 में इसकी शुरुआत से ही फेस्टिवल डायरेक्टर होने का बहुत बड़ा सौभाग्य मिला है और मैं वृक्ष द थिएटर का बहुत आभारी हूं, जिसने हर संस्करण को एक अभूतपूर्व सफलता दिलाई है, जिसने न केवल भारतीय थिएटर संस्कृति में एक नई अवधारणा पेश की है, बल्कि अपने अनूठे दृष्टिकोण के लिए प्रशंसा भी प्राप्त की है। जैसा कि हम देखते हैं, मुख्यधारा का सिनेमा भी लंबे समय के प्रारूप से कम अवधि के साथ आकर्षक कहानियों के संक्षिप्त और संक्षिप्त रचनात्मक चित्रण पर आ गया है।
श्री पिल्लई ने बताया इस संस्करण में कई बेहतरीन प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें निर्देशक यधु प्रसाद बी लिखित सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति ‘भूतकन्नडी’ भी शामिल है। इस वर्ष के थेस्पिस ने न केवल अविश्वसनीय प्रस्तुतियों के लिए एक मंच प्रदान किया, बल्कि बदलते समय के साथ अनुकूलन करने में भारतीय थिएटर समुदाय के लचीलेपन और नवाचार का प्रमाण भी दिया। इस महोत्सव को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित 25वें भारत रंग महोत्सव के एक भाग के रूप में भी मान्यता दी गई है। यह सहयोग भारतीय रंगमंच परिदृश्य में सूक्ष्म नाटक के महत्व को सुदृढ़ करने की उनकी यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है।
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