न्यायपूर्ण विश्व के लिए भारत प्रतिबद्ध

Live 7 Desk

नयी दिल्ली, 12 फरवरी (लाइव 7) भारत ने वैश्विक प्रगति में तेजी लाने तथा सभी के लिए न्यायपूर्ण विश्व की दिशा में प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा है कि इस मामले में कोई भी पीछे नहीं छूटना चाहिए।
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने कल देर रात अमेरिका के न्यूयॉर्क में सामाजिक विकास आयोग के 63वें सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य को मजबूत बनाने पर बल दिया।
मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए उन्हाेंने कहा कि भारत ने “महिला-नेतृत्व वाले विकास” को अपनाया है और महिलाओं को विकास की दिशा तय करने में प्रमुख भूमिका निभाना सुनिश्चित किया है। उन्होंने एकजुटता और सामाजिक सामंजस्य को मजबूत बनाने पर जोर देते हुए यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि इस मामले में कोई भी पीछे नहीं छूटे।
यह बैठक 10 से 14 फरवरी तक आयोजित किया जा रही है। इस सत्र का उद्देश्य समावेशी सामाजिक नीतियों को आगे बढ़ाने और वैश्विक सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए सामाजिक विकास चुनौतियों पर चर्चा और सहयोग को प्रोत्साहित करना है। इस सत्र में फ्रांस, तुर्की, सऊदी अरब, स्वीडन आदि जैसे 16 देशों के मंत्रियों सहित 49 देशों ने भाग लिया।
श्रीमती ठाकुर ने कहा कि भारत “ सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास ” के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसमें समावेशिता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जन धन, आधार, मोबाइल के जुडाव से भारत ने वंचित समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं, दिव्‍यांगजनों और बुजुर्गों के लिए वित्तीय समावेशन हासिल किया है। देश ने “ महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास” को भी अपनाते हुए यह सुनिश्चित किया गया है कि विकास की गति को आकार देने में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभाएं।
उन्होंने कहा कि भारत ने लैंगिक डिजिटल विभाजन को समाप्‍त करने के लिए व्‍यापक स्‍तर पर कार्यक्रम शुरु किये गये हैं। इससे विशेष रूप से ग् ीण क्षेत्रों में डिजिटल और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा मिला है। इसने स्टार्ट-अप से लेकर स्थापित व्यवसायों तक लाखों महिला उद्यमियों को सशक्त बनाया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाओं की कार्यबल भागीदारी बढ़ाना एक प्रमुख प्राथमिकता है। भारत के मजबूत सामाजिक सुरक्षा मॉडल में 26 सप्ताह का सवेतन मातृत्व अवकाश, तीन करोड़ 75 लाख माताओं के लिए मातृत्व लाभ, वन स्टॉप सेंटरों का एक नेटवर्क और एक एकीकृत राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन शामिल है। भारत की प्रारंभिक बचपन देखभाल, पोषण और शिक्षा पहलों से 10 करोड़ से अधिक बच्चे, माताएं और किशोर लड़कियां लाभान्वित हो रही हैं।
सत्या, 
लाइव 7

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