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आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा है कि कुड़मी समुदाय में सामाजिक पुनर्जागरण के लिए समाज और युवाओं को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज राजनीतिक साजिश का शिकार हुआ है। उस साजिश को पहचानने की जरूरत है। बिखरे समाज में वैचारिक एकता स्थापित करना होगा।

सुदेश महतो आज धनबाद के मुनीडीह स्थित भाटिन हाड़ी थान (भटिंदा फाल्स) में आयोजित दो दिवसीय कुड़मालि नेगाचारी देसजाड़पा (महाधिवेशन) के समापन समारोह में भाग लेने पहुंचे। देसजाड़पा में भाग लेने झारखंड के अलावा बंगाल, ओडिशा एवं असम से भी प्रतिनिधि पहुंचे। आदिवासी कुड़मी समाज के अध्यक्ष अजीत महतो समेत कई सामाजिक पदाधिकारियों ने श्री महतो का स्वागत किया।
महतो ने कहा कि समाज की युवा पीढ़ी के भीतर एक नई चेतना दिख रही है। सौभाग्य की बात है कि सामाजिक–सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए युवा पीढ़ी सजग हुई है। पूर्वजों का सपना और सम्मान नई पीढ़ी संवार रही है बहुत खुशी की बात है। दहेज और दारू जैसी कुरीति ने समाज को क्षति पहुंचाई है। परंपरा को निभाएं, उसे कुरीति नहीं बनाएं। नवनिर्माण के लिए कुरीतियों से समाज को बचाना होगा।
महतो ने कहा कि नई पीढ़ी ने शोध कर सामाजिक पुनर्जागरण एवं पुनरुद्धार के लिए पहल शुरू की है। इसका स्वागत है। वैचारिक समानता के लिए देसजाड़पा का आयोजन किया गया है उन्होंने कहा कि हमलोगों के बीच राजनीतिक मतभिन्नता हो सकती है, लेकिन सामाजिक–सांस्कृतिक मुद्दे पर समाज को एकजुट होना होगा।
सुदेश महतो ने 2004 में केबिनेट से पारित कराया था कुड़मी को एसटी दर्जा का प्रस्ताव
पूर्व विधायक डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि सुदेश महतो ने 2004 में झारखंड मंत्रिमंडल की बैठक में कुड़मी को आदिवासी दर्जा देने का प्रस्ताव पारित करवा कर केंद्र सरकार को भेजा था। उन्होंने कहा कि लगातार कुड़मी को एसटी स्टेटस और कुड़मालि को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए समाज को मजबूत बनाना होगा।

