विधानसभा में कांग्रेस का अंदरूनी कलह उजागर, मामला इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो को हस्तक्षेप करना पड़ा।
LIVE 7 TV/ RANCHI
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को कांग्रेस के भीतर बढ़ती नाराज़गी खुलकर सामने आ गई। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े एक प्रश्न पर कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के बीच जमकर विवाद हुआ। मामला इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो को हस्तक्षेप करना पड़ा।
सदन में गरमा गया माहौल
थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर स्वास्थ्य सुविधाओं पर पूछे गए सवालों का जवाब देते समय मंत्री असमंजस में दिखे। उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य सरकार के पास थैलेसीमिया मरीजों का अपडेटेड डेटा उपलब्ध नहीं है। इस पर विधायक प्रदीप यादव ने तीखी आपत्ति जताई और मंत्री से स्पष्ट जवाब देने की मांग की।
भाजपा विधायकों ने भी मंत्री के जवाबों पर नाराजगी जाहिर करते हुए ‘शेम-शेम’ के नारे लगाए। मामले के तूल पकड़ने पर स्पीकर ने मंत्री को संक्षिप्त और सीधा जवाब देने का निर्देश दिया। लेकिन मंत्री जब मुद्दे से हटकर उदाहरण देने लगे, तो सदन का माहौल और गरम हो गया।
स्पीकर और विधायक के बीच भी हुई तीखी बहस
लंबी बहस के बीच स्पीकर ने प्रदीप यादव से कहा कि वे विस्तृत जानकारी मंत्री के कक्ष में जाकर ले सकते हैं। इस पर विधायक नाराज हो गए और कहा कि “सदन में पूछे गए सवाल का जवाब सदन में ही मिलना चाहिए।”
प्रदीप यादव ने इसे समाधान नहीं मानते हुए स्पीकर से भी सवाल-जवाब कर दिया। स्पीकर ने नाराजगी जताते हुए उन्हें बैठने का निर्देश दिया।
मंत्री ने लगाया सदन को गुमराह करने का आरोप
जवाब देने से पहले स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदीप यादव पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक सरकारी अस्पताल में 25 करोड़ रुपये के सामान चोरी होने की गलत जानकारी सदन में दी। मंत्री ने कहा कि जांच में 60 लाख रुपये के सामान की चोरी की पुष्टि हुई है, न कि 25 करोड़ की।उन्होंने कहा कि “ऐसी गलतबयानी से सदन की मर्यादा प्रभावित होती है।”
इस दौरान कांग्रेस की विधायक दीपिका पांडेय सिंह भी मंत्री और प्रदीप यादव के बीच चल रही तीखी नोकझोंक से असहज दिखीं।
विवाद की जड़ क्या थी?
विधायक प्रदीप यादव ने ये प्रमुख सवाल उठाए थे—
- राज्य में थैलेसीमिया मरीजों की कुल संख्या
- क्या मरीजों को मुफ्त रक्त सुविधा मिल रही है
- क्या राज्य सरकार बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए अन्य राज्यों की तरह आर्थिक सहायता देगी
- एक निजी अस्पताल द्वारा ब्लड ट्रांसफ्यूजन के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप
इन सवालों पर मंत्री स्पष्ट जवाब नहीं दे सके, जिससे विवाद और बढ़ गया।
सत्र के दौरान स्वास्थ्य ढांचे पर गंभीर सवाल उठे, लेकिन मंत्री के अस्पष्ट जवाब और विधायक की कड़ी प्रतिक्रिया ने स्थिति को राजनीतिक टकराव में बदल दिया। यह घटना कांग्रेस के अंदरूनी मतभेदों और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठते सवालों को एक बार फिर उजागर करती है।

