झारखंड में खनन व्यवस्था पर संकट, 4,745 में से 3,635 खदान लीज हुई लैप्स, केवल 823 ही सक्रिय

Shashi Bhushan Kumar

झारखंड में खनन क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। राज्य में मेजर मिनरल और लघु खनिज से जुड़े कुल 4,745 लीजधारकों में से 3,635 की खदान लीज समाप्त हो चुकी है। वर्तमान में केवल 823 लीजधारक ही सक्रिय रूप से खनन कार्य कर रहे हैं। वहीं, अस्थायी रूप से डिस्पैच का कार्य सिर्फ एक ही लीजधारक द्वारा किया जा रहा है, जबकि 286 लीजधारक नॉन-वर्किंग श्रेणी में दर्ज हैं।

कोयला खनन (मेजर मिनरल) की स्थिति
धनबाद में कोयला के कुल 133 लीजधारक हैं, जिनमें से 52 का काम अस्थायी रूप से बंद है और 19 की लीज समाप्त हो चुकी है।
दुमका में 23 में से 19 लीज लैप्स हो चुकी हैं।हजारीबाग में 47 लीजधारकों में से एक अस्थायी रूप से बंद है, जबकि 11 की लीज समाप्त हो गई है।कोल्हान सर्किल में एकमात्र लीजधारक की लीज लैप्स हो चुकी है।पलामू में 11 लीजधारकों में से 7 की लीज समाप्त पाई गई है।

नॉन-कोल मेजर मिनरल का हाल
धनबाद में 7 लीजधारकों में से 2 अस्थायी बंद और 3 की लीज लैप्स है।
दुमका में दोनों लीजधारकों की लीज समाप्त हो चुकी है।
हजारीबाग में सभी 13 लीजधारकों की लीज लैप्स पाई गई है।
कोल्हान में 97 लीजधारकों में से 84 की लीज समाप्त, जबकि 3 अस्थायी रूप से बंद हैं।
पलामू में 17 में से 13 लीज लैप्स और 2 अस्थायी बंद हैं।
रांची में 48 लीजधारकों में से 24 की लीज समाप्त हो चुकी है।

लघु खनिज (माइनर मिनरल) में सबसे ज्यादा गिरावट
धनबाद में 611 में से 494 लीज समाप्त हो चुकी हैं।
दुमका में 1,610 में से 1,251 लीज लैप्स पाई गई है।
हजारीबाग में 641 में से 538 लीज समाप्त हो चुकी हैं।
कोल्हान में 475 में से 409 लीज लैप्स है।
पलामू में 291 में से 176 लीज समाप्त हो गई है।
रांची में 717 में से 577 लीजधारकों की लीज समाप्त हो चुकी है।

जिलावार लीज लैप्स का आंकड़ा
धनबाद में 153, बोकारो 166, गिरिडीह 197, दुमका 291, साहेबगंज 360, गोड्डा 72, देवघर 144, पाकुड़ 309, जामताड़ा 92, हजारीबाग 117, चतरा 85, रामगढ़ 206, कोडरमा 173, चाईबासा 176, गुमला 74, सिमडेगा 58, जमशेदपुर 172, सरायकेला 144, पलामू 115, गढ़वा 49, लातेहार 27, रांची 285 और खूंटी में 78 खदान लीज लैप्स पाई गई हैं।

राज्य में बड़ी संख्या में खनन लीज के समाप्त होने से न सिर्फ राजस्व पर असर पड़ रहा है, बल्कि रोजगार और औद्योगिक गतिविधियों पर भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

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