36 घंटे की टेक्नोलॉजी मैराथन में 12 राज्यों के 120 प्रतिभागियों ने दिखाई नवाचार की प्रतिभा
सॉफ्टवेयर हैकाथॉन के विजेताओं को भारत सरकार की ओर से 1.5 लाख रुपये पुरस्कार
LIVE 7 TV DESK
कटक–
ओड़िशा के कटक स्थित श्री श्री विश्वविद्यालय में “स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन – सॉफ्टवेयर संस्करण” का फाइनल सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह प्रतियोगिता सोमवार सुबह 8 बजे शुरू होकर मंगलवार रात 8 बजे तक लगातार 36 घंटे चली और अपने नाम के अनुरूप पूरी तरह सार्थक साबित हुई।

बीपीयूटी और वीएसएसयूटी के साथ, श्री श्री विश्वविद्यालय को ओड़िशा के तीन नोडल केंद्रों में से एक के रूप में चुना गया था। ज़ोनल स्तर पर यह विश्वविद्यालय एकमात्र नोडल केंद्र था। भारत सरकार और एआईसीटीई की संयुक्त पहल से आयोजित इस हैकाथॉन में विद्यार्थियों ने अपनी सृजनशीलता, तकनीकी क्षमता और उद्योग संबंधी समस्याओं के प्रभावी समाधान प्रस्तुत किए। इसका उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों, राज्य सरकार के विभागों और उद्योग संस्थानों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों के लिए उपयोगी सॉफ्टवेयर समाधान तैयार करना था।
इस वर्ष कार्यक्रम में पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और दिल्ली सहित 12 राज्यों से 120 प्रतिभागियों और 22 मेंटर्स ने भाग लिया। साथ ही एआईसीटीई के 2 अधिकारी, राज्य सरकार के 2 प्रतिनिधि और स्थानीय उद्योग संस्थानों के 8 विशेषज्ञ जज के रूप में उपस्थित थे। प्रतियोगिता में कुल 4 “प्रॉब्लम स्टेटमेंट” रखे गए, जिनमें प्रत्येक में 5-5 समूह शामिल थे।
प्रतिभागियों की ऊर्जा बनाए रखने के लिए सोमवार रात को बोनफायर और मंगलवार सुबह ज़ुम्बा नृत्य जैसी गतिविधियों का आयोजन किया गया। फाइनल के बाद भारत सरकार की ओर से प्रत्येक प्रॉब्लम स्टेटमेंट के विजेता समूह को ₹1.5 लाख का पुरस्कार प्रदान किया गया।
श्री श्री विश्वविद्यालय की कुलाध्यक्षा प्रो. रजिता कुलकर्णी, कुलपति प्रो. डॉ. तेजप्रताप, कार्यवाह कुलसचिव प्रो. डॉ. अनिल कुमार शर्मा, कार्मिक निदेशक स्वामी सत्यचैतन्य और डीन एफईटी डॉ. रविनारायण शतपथी ने प्रतियोगिता के सफल आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा, “स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2025 यह दर्शाता है कि श्री श्री विश्वविद्यालय शोध और नवाचार के क्षेत्र में लगातार सक्रिय है। ऐसे कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों को सशक्त बनाते हैं, बल्कि ओड़िशा को तकनीकी ज्ञान-कौशल और स्टार्टअप के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करते हैं।”

