बांग्लादेश में राजनीतिक संकट: शेख हसीना को गैरहाजिरी में फांसी की सजा

Ravikant Upadhyay

बांग्लादेश की राजनीति अब पहले से कहीं अधिक तनावपूर्ण हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका की अंतरराष्ट्रीय अदालत ने गैरहाजिरी में मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान हिंसा और अन्य गंभीर अपराध किए गए थे, जिनमें हसीना की अनुमति या उनका आदेश शामिल था। शेख हसीना इस समय विदेश में हैं और तब तक बांग्लादेश लौटने से इंकार कर रही हैं जब तक देश में, उनके अनुसार, “सच्चा लोकतंत्र और जनता की भागीदारी वाली सरकार” बहाल नहीं होती। उनके नेतृत्व वाली आवामी लीग पार्टी को वर्तमान अंतरिम सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है। अंतरिम सरकार का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं।

अदालत ने अपने फैसले में गवाहों के बयान, सैन्य अभिलेख और खुफिया दस्तावेज़ों का अध्ययन किया। हालांकि हसीना और उनके समर्थक इस फैसले को राजनीतिक साजिश मान रहे हैं। उन्होंने इसे “न्यायिक नाटक” बताया और कहा कि आरोप झूठे हैं। उनके अनुसार यह सजा विपक्ष को दबाने की कोशिश है। फैसले के तुरंत बाद देश में विरोध शुरू हो गया। आवामी लीग के समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और हड़ताल और प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा, “यह न्याय नहीं, बल्कि प्रतिशोध है।”
विरोध प्रदर्शन कई बड़े शहरों में आयोजित किए जा रहे हैं, और सुरक्षा बलों को सतर्क किया गया है। सरकार ने भी यह स्पष्ट किया है कि कानून सभी के लिए समान रूप से लागू होता है और किसी को इससे बाहर नहीं रखा जाएगा। मुहम्मद यूनुस ने अदालत की स्वतंत्रता की पुष्टि की है और कहा कि यह पूरी प्रक्रिया कानूनी मानकों के अनुसार हुई। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार किसी पर दबाव नहीं डाल रही है और न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है।

विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि बांग्लादेश अब अपने सबसे संवेदनशील दौर में प्रवेश कर सकता है। देश में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जा रहे हैं। इस फैसले के बाद आने वाले दिनों में प्रदर्शन और विरोध-प्रदर्शन बढ़ सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी यह चुनौतीपूर्ण समय है। कई देशों को अब यह तय करना है कि वे अदालत के फैसले को मान्यता दें या नए सिरे से सुनवाई की मांग करें। यह मामला केवल शेख हसीना के भविष्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीतिक दिशा को बदल सकता है।

देश के अंदर और बाहर सवाल उठ रहे हैं कि क्या बांग्लादेश शांतिपूर्ण तरीके से इस संकट से बाहर आएगा या राजनीतिक विभाजन और बढ़ेगा। हसीना के समर्थक देशभर में लोकतंत्र और अधिकारों की रक्षा के लिए सजग हैं। वहीं सरकार अपनी तरफ से स्थिति को नियंत्रण में रखने की पूरी कोशिश कर रही है। संपूर्ण परिस्थिति यह दर्शाती है कि बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य को लेकर अब कोई भी कदम सावधानी और समझदारी से उठाना आवश्यक है। आने वाले हफ्तों में देश में होने वाली घटनाएँ इस संकट का हल या और गहरा तनाव तय करेंगी।

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