2026 तक बाल विवाह मुक्त झारखंड का लक्ष्य, राज्यव्यापी जागरूकता अभियान का हुआ शुभारंभ

Shashi Bhushan Kumar

महिला सशक्तिकरण और सामाजिक जागरूकता को लेकर आज शौर्य सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला झारखंड सरकार के तत्वावधान में संपन्न हुई, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, जनप्रतिनिधि और विभागीय अधिकारी शामिल हुए।

कार्यशाला के दौरान महिलाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई। साथ ही इन योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक कैसे पहुंचे, इस विषय पर भी गंभीर चर्चा हुई। उपस्थित महिला पदाधिकारियों ने योजनाओं के प्रचार-प्रसार के प्रभावी तरीकों पर प्रकाश डालते हुए महिलाओं से जागरूक और संगठित होने की अपील की।

इस अवसर पर अधिकारियों ने झारखंड में बाल विवाह की गंभीर स्थिति को रेखांकित करते हुए बताया कि यह सामाजिक समस्या अब एक बड़ी चुनौती का रूप ले चुकी है। कुपोषित माताओं से कुपोषित बच्चों का जन्म होना समाज के भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। समाज कल्याण विभाग ने स्पष्ट संकल्प दोहराया कि झारखंड को बाल विवाह जैसे सामाजिक अभिशाप से मुक्त कराया जाएगा।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026 तक झारखंड को पूर्ण रूप से बाल विवाह मुक्त राज्य बनाना है। भारत सरकार ने भी झारखंड को बाल विवाह के मामलों में हॉटस्पॉट स्टेट के रूप में चिन्हित किया है। एनएफएचएस के ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य में करीब 32 प्रतिशत बाल विवाह हो रहे हैं। वहीं, 24 जिलों में से 17 जिले ऐसे हैं, जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर हाई-रिस्क श्रेणी में रखा गया है।

इन परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन के सहयोग से राज्यभर में विशेष जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सभी अनुमंडलों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और इसकी औपचारिक शुरुआत आज से पूरे राज्य में कर दी गई है। अभियान के तहत चाइल्ड मैरिज प्रोहिबिशन ऑफिसर (CMPO) की अध्यक्षता में गांव स्तर तक मजबूत नेटवर्क तैयार किया गया है।

इस मुहिम में परंपरागत ग्राम प्रधान, मानकी, मुंडा, पंचायती राज प्रतिनिधि, वार्ड सदस्य, मुखिया, शिक्षक, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविकाएं और स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। उद्देश्य स्पष्ट है—यदि किसी भी गांव में बाल विवाह की सूचना मिलती है, तो उसे तुरंत रोका जाए, परिवार की काउंसलिंग की जाए और बच्ची को शिक्षा व सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए।

कुपोषण के मुद्दे पर अधिकारियों ने कहा कि यह समस्या केवल टेक-होम राशन तक सीमित नहीं है। कम उम्र में विवाह और मातृत्व भी कुपोषण के प्रमुख कारण हैं। ऐसे में बाल विवाह रोकना, पोषण युक्त आहार को बढ़ावा देना और आंगनबाड़ी स्तर पर लगातार परामर्श देना बेहद जरूरी है।

समाज कल्याण विभाग ने मीडिया से भी अभियान में सहयोग की अपील की है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि बाल विवाह में किसी भी रूप में शामिल व्यक्ति—चाहे वह कैटरर, टेंट संचालक, फोटोग्राफर, पंडित, पाहन या अन्य कोई भी हो—कानूनी रूप से दोषी माना जाएगा।

बाल विवाह की किसी भी सूचना के लिए 1881 महिला हेल्पलाइन, 1098 चाइल्डलाइन तथा 112/1112 पुलिस हेल्पलाइन नंबर 24×7 सक्रिय हैं।सरकार का स्पष्ट संदेश है—झारखंड को हर हाल में बाल विवाह मुक्त बनाना है, ताकि आने वाली पीढ़ी सुरक्षित, शिक्षित और स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर हो सके।

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Digital Head,Live-7, Committed to impactful journalism, Shashi Bhushan Kumar continues to bring meaningful narratives to the public with diligence and passion. Active Journalist since 2012.
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