छात्र अधिकारों की मांग को लेकर निकाली गई छात्र अधिकार पद यात्रा बुधवार को डुमरी से अपनी यात्रा पूरी करते हुए राजधानी रांची पहुंच गई। इस पद यात्रा का नेतृत्व छात्र नेता जयराम महतो कर रहे हैं, जिन्होंने यात्रा के दौरान छात्रों के भविष्य, शिक्षा की गुणवत्ता, छात्रवृत्ति और रोजगार से जुड़े कई गंभीर मुद्दों को उठाया। रांची पहुंचने पर छात्रों और युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। बड़ी संख्या में युवा हाथों में तख्तियाँ लेकर शिक्षा सुधार की मांग करते नज़र आए।
पद यात्रा की शुरुआत का मुख्य उद्देश्य झारखंड के छात्रों की समस्याओं और उनके अधिकारों को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। यात्रा के दौरान जयराम महतो ने कहा, “छात्रों की खुशी में ही हमारी खुशी है। जब तक राज्य का हर छात्र अपने अधिकारों से वंचित है, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।” उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और छात्रवृत्ति वितरण की धीमी प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए।
महतो ने बताया कि झारखंड के कई छात्रों को आज भी समय पर छात्रवृत्ति नहीं मिलती, जिससे उनकी पढ़ाई पर सीधा असर पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थिति सुधारने की जरूरत है, ताकि हर छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सके। इसके साथ ही उन्होंने रोजगार के अवसर बढ़ाने और युवाओं को कौशल विकास से जोड़ने की मांग भी की।
रांची पहुंचने पर यात्रा का माहौल और भी ऊर्जावान हो गया। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से आए सैकड़ों छात्रों ने जयराम महतो का स्वागत किया और उनके साथ कदम से कदम मिलाते हुए शिक्षा सुधार की आवाज़ बुलंद की। छात्रों ने कहा कि वे इस यात्रा को सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि अपने भविष्य से जुड़ी लड़ाई मानते हैं। कई छात्र इस बात से नाराज़ दिखे कि सरकार ने बार-बार आश्वासन तो दिया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा।
यात्रा में शामिल युवाओं ने यह भी मांग उठाई कि विश्वविद्यालयों में पारदर्शिता बढ़ाई जाए और परीक्षा प्रक्रिया को समयबद्ध बनाया जाए। कई छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालयों में सत्र नियमित नहीं होने के कारण उनका भविष्य अधर में लटका रहता है। इसी के साथ वे फीस संरचना में पारदर्शिता और अनावश्यक शुल्क समाप्त करने की मांग भी कर रहे हैं।
जयराम महतो ने सरकार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि छात्रों की आवाज़ को अब अनदेखा नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर सरकार छात्रों के मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाती है तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप ले सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि छात्र एकजुट होकर आगे भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
इस पद यात्रा ने झारखंड के शिक्षा प्रणाली से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार इस छात्र आंदोलन पर क्या प्रतिक्रिया देती है और छात्रों की समस्याओं के समाधान के लिए कौन-से कदम उठाए जाते हैं।

