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भारत ने हरित और स्वच्छ परिवहन की दिशा में एक अहम उपलब्धि हासिल की है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने वाराणसी के नमो घाट से देश के पहले पूरी तरह स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन चालित यात्री जलयान की वाणिज्यिक सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गंगा नदी में हाइड्रोजन से चलने वाले यात्री जलयान का संचालन, मोदी सरकार के नेतृत्व में नेट-जीरो जलमार्गों की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है। यह पहल स्वच्छ, टिकाऊ और आत्मनिर्भर परिवहन व्यवस्था की ओर भारत के बढ़ते कदमों को दर्शाती है।
पूरी तरह स्वदेशी और शून्य उत्सर्जन तकनीक
यह जलयान भारत में पहली बार समुद्री और अंतर्देशीय जल परिवेश में हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक का व्यावसायिक प्रदर्शन करता है। यह निम्न तापमान प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (PEM) फ्यूल सेल प्रणाली पर आधारित है, जिसमें हाइड्रोजन को बिजली में बदला जाता है और उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी का उत्सर्जन होता है। इस कारण यह जलयान पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल है।
‘मेक इन इंडिया’ और हरित परिवहन को मजबूती
केंद्रीय मंत्री श्री सोनोवाल ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ विजन और हरित परिवहन को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का सशक्त उदाहरण है। साथ ही यह गंगा नदी के संरक्षण और पुनरुद्धार के व्यापक प्रयासों को भी मजबूती प्रदान करती है।
आईडब्ल्यूएआई और कोचीन शिपयार्ड की अहम भूमिका
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के स्वामित्व वाला यह जलयान कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है। परीक्षण संचालन सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद इसे वाणिज्यिक सेवा में शामिल किया गया है। यह पहल 2070 तक भारत के नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य के अनुरूप है।
यात्री क्षमता और तकनीकी विशेषताएं
करीब 24 मीटर लंबा यह आधुनिक कैटामरान वातानुकूलित केबिन के साथ 50 यात्रियों को ले जाने में सक्षम है। इसकी हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली में हाइड्रोजन फ्यूल सेल, बैटरी और सौर ऊर्जा का संयोजन है। एक बार हाइड्रोजन भरने पर यह जलयान लगभग आठ घंटे तक संचालित हो सकता है और 6.5 से 9 समुद्री मील की गति से चलता है। यह इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग द्वारा प्रमाणित है।
शहरी जल परिवहन को मिलेगा नया आयाम
वाराणसी में शुरू की गई यह सेवा यात्रियों और तीर्थयात्रियों को शोर-मुक्त, धुआं-मुक्त और आरामदायक यात्रा का अनुभव देगी। इससे सड़क यातायात का दबाव कम होगा, प्रदूषण घटेगा और स्थानीय पर्यटन व रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। वाराणसी हाइड्रोजन आधारित यात्री जल परिवहन अपनाने वाले दुनिया के शुरुआती शहरों में शामिल हो गया है।
पहली यात्रा और विशिष्ट उपस्थिति
नमो घाट से ललिता घाट तक लगभग पांच किलोमीटर की पहली यात्रा में मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रीगण, सांसद-विधायक, वाराणसी नगर निगम के महापौर तथा केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
भविष्य की दिशा
हाइड्रोजन ईंधन चालित इस जलयान की शुरुआत देश के अंतर्देशीय जल परिवहन नेटवर्क के आधुनिकीकरण और डी-कार्बोनाइजेशन की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है। यह पहल मेरीटाइम इंडिया विजन 2030 और मेरीटाइम अमृत काल विजन 2047 के लक्ष्यों को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

