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गायत्री शक्तिपीठ सहरसा में रविवार क़ो व्यक्तित्व परिष्कार सत्र का आयोजन किया ।जिसे संबोधित करते हुए डॉक्टर अरुण कुमार जायसवाल ने कहा शिक्षा और चिकित्सा सेवा कर्म है। कल्याण कारी कार्य है, जो शिक्षा और चिकित्सा को सेवा भाव से करता है तो दोनों मिलकर के मनुष्य तैयार करती है।इंसान तैयार करती है। शिक्षा को व्यवसाय बना दिया जाए ,तो वह मनुष्य कभी तैयार नहीं कर सकती है।

डॉक्टर अरुण ने कहा हमलोग गायत्री शक्तिपीठ सहरसा में बहुत छोटे स्तर पर ही शिक्षा और चिकित्सा दोनों सेवा भाव से करने की कोशिश करते हैं ताकि एक सफल इंसान के साथ साथ एक अच्छा इंसान भी तैयार कर पाए यही लक्ष्य लेकर हम लोग अनवरत करने में जुटे हैं इस तरह का कार्य हम सभी लोगो क़ो मोटीवेट करता हैं की बदलाव संभव हैं बस सम्वेदनशील तरीके से निरंतर प्रयास करते रहना होगा। चिकित्सा पाने वालों के लिए हमदर्दी पैदा करता है। लगता है सुख-दुख में कोइ तो खड़ा है जो उसको शिक्षा समझने योग्य बनाती है,समझ पैदा करती है, जीवन मूल्य मानवीय मूल्य विकसित करती है। इस अवसर पर मद्रास से आये विनीत साहू ने कहा गायत्री शक्तिपीठ साहरसा ज्ञान साधना का केंद्र है सच्चा मार्गदर्शन यहां मिलता है ।सही तरीके से आगे बढ़ाना सिखाता है। आपकी सोच और कर्म लक्ष्य की अस्पष्टता सफलता देने में सहायक है। इस अवसर पर राव पदाधिकारी राकेश कुमार ने कहा भारत और रूस के महान संस्कृति के बारे में उपस्थित विद्यार्थियों क़ो बताया। नोट:- इस अवसर पर हर साल की भांति विनीत साहू के कर कमलों से कम्बल का वितरण किया गया। कम्बल पाकर सभी बहुत खुश थे ,सभी के चेहरे पर मुस्कान देखने लायक थी।इस अवसर पर सभी गायत्री परिजन उपस्थित थे।

