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नई दिल्ली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के नाम में बदलाव को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस फैसले को तर्कहीन बताते हुए कहा कि योजना का नाम बदलने का कोई स्पष्ट औचित्य समझ में नहीं आता।
शनिवार को संसद परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना के नाम से महात्मा गांधी का जुड़ाव ऐतिहासिक और वैचारिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार आखिर किस सोच के तहत इस योजना का नाम बदलना चाहती है।
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि किसी योजना का नाम बदलने में प्रशासनिक और प्रचार संबंधी खर्च भी जुड़ा होता है। ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नाम परिवर्तन से आम जनता को क्या लाभ मिलेगा।
कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने भी इस मुद्दे पर सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने की आवश्यकता क्यों महसूस की गई, यह सरकार को बताना चाहिए। उनका कहना था कि देशभर में ‘बापू’ नाम रखने वाले लोग हैं, लेकिन इससे योजना के नाम में बदलाव को सही नहीं ठहराया जा सकता।
गौरतलब है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम वर्ष 2005 में लागू किया गया था, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की मांग करने वाले वयस्कों को हर साल 100 दिन का मजदूरी आधारित रोजगार देने की कानूनी गारंटी दी जाती है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में आजीविका सुरक्षा मजबूत करना और बुनियादी ढांचे का विकास करना है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मनरेगा के तहत 86,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक बजट बताया जा रहा है। वहीं, चालू वित्त वर्ष में अब तक 45,783 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।

