झारखंड में छात्रवृत्ति भुगतान को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। राज्यभर में हजारों छात्र जिन छात्रवृत्ति योजनाओं पर अपनी पढ़ाई निर्भर करते हैं, उनके भुगतान में हो रही लंबी देरी अब राजनीतिक तकरार का रूप ले चुकी है। राज्य सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार निर्धारित राशि राज्य को जारी नहीं कर रही, जिसके कारण भुगतान अटका हुआ है। वहीं, केंद्र की ओर से अभी तक इस संबंध में कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।
उच्च शिक्षा मंत्री चमरा लिंडा ने मंगलवार को स्थिति पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि जैसे ही मौजूदा शैक्षणिक सत्र समाप्त होगा, वे दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों से सीधी मुलाकात करेंगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि छात्रवृत्ति की देरी छात्रों के भविष्य को प्रभावित कर रही है और इसे किसी भी परिस्थिति में लंबा नहीं खिंचने दिया जाएगा।
लिंडा ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र को ₹370 करोड़ रुपये की आधिकारिक मांग भेजी है। यह राशि लंबित छात्रवृत्ति भुगतान को पूरा करने के लिए आवश्यक है। “हमने केंद्र से अनुरोध किया है कि राशि जल्द से जल्द रिलीज की जाए, ताकि छात्रों को राहत मिल सके,” उन्होंने कहा। मंत्री के अनुसार, राज्य स्तर की प्रक्रियाएँ पूरी की जा चुकी हैं और अब बकाया भुगतान का निष्पादन पूरी तरह से केंद्र पर निर्भर है।
तकनीकी समस्या क्या है?
सूत्रों के अनुसार, छात्रवृत्ति भुगतान में देरी का मुख्य कारण PFMS (Public Financial Management System) से जुड़े कुछ तकनीकी मुद्दे हैं, जिसके कारण भुगतान की फाइलें अटक रही हैं। इसके अलावा, केंद्र और राज्य के बीच फंड के अनुपात एवं रिलीज़ प्रक्रिया में तालमेल की कमी भी देरी का एक प्रमुख कारण मानी जा रही है।
राज्य सरकार का दावा है कि कई महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए केंद्र से मिलने वाला हिस्सा अभी तक नहीं आया है, जिससे भुगतान प्रक्रिया बाधित हो गई। राज्य के कई जिलों से विश्वविद्यालयों ने रिपोर्ट दी है कि छात्रों का ऑनलाइन सत्यापन पूरा हो चुका है, लेकिन अंतिम भुगतान केंद्र की अनुमति पर निर्भर है।
छात्रों का विरोध तेज
छात्र संगठनों ने इस मुद्दे पर लगातार विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। कई विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से भुगतान में तेजी लाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि छात्रवृत्ति न मिलने से कॉलेज फीस, हॉस्टल बिल और पढ़ाई से जुड़े अन्य खर्च पूरे करना कठिन हो गया है।
आगे क्या कदम?
मंत्री चमरा लिंडा का दिल्ली दौरा इस मुद्दे पर निर्णायक साबित हो सकता है। वे मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात करेंगी। यह भी उम्मीद की जा रही है कि 370 करोड़ रुपये की मांग पर जल्द निर्णय लिया जा सकता है, जिससे भुगतान प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
370 करोड़ की मांग का प्रभाव
यदि केंद्र सरकार यह राशि मंजूर करती है तो लगभग सभी लंबित छात्रवृत्ति योजनाओं का भुगतान तुरंत शुरू होने की संभावना है। इससे हजारों छात्रों को सीधी राहत मिलेगी और आगामी शैक्षणिक सत्र पर इसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
झारखंड में छात्रवृत्ति विवाद अभी भी सुर्खियों में है और आने वाले दिनों में केंद्र-राज्य की वार्ता इस संकट को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

