नाम नहीं, ढांचा बदलने का आरोप: सदन के बाहर ‘विकसित भारत जी राम जी’ बिल पर कांग्रेस का तीखा विरोध

Shashi Bhushan Kumar

नई दिल्ली, LIVE 7 TV। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए ‘विकसित भारत जी राम जी बिल’ को लेकर सदन के बाहर सियासी घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस बिल पर गंभीर आपत्तियां जताते हुए इसे राज्यों के अधिकारों और महात्मा गांधी के सम्मान से जुड़ा मुद्दा बताया है। विपक्ष का आरोप है कि यह बिल सिर्फ नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए योजना की मूल संरचना में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं।

कांग्रेस सांसद उज्ज्वल रमण सिंह ने इस बिल पर सरकार को घेरते हुए कहा कि किसी योजना की संरचना को खत्म करना, दरअसल उस योजना को ही समाप्त करने जैसा है। नाम बदलने के साथ-साथ संगठनात्मक ढांचे में भी बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जिस पर कांग्रेस को गहरी आपत्ति है। हम चाहते हैं कि सरकार इस बिल को वापस ले और इसे इसके मूल स्वरूप में दोबारा लाए।

उज्ज्वल रमण सिंह ने सवाल उठाया कि केंद्र सरकार किस अधिकार से राज्यों पर यह शर्त थोप रही है कि उन्हें 40 प्रतिशत धनराशि देनी होगी। उन्होंने कहा, “क्या दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार यह तय कर सकती है कि राज्यों को कितना पैसा देना चाहिए? क्या राज्यों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत है कि वे इस बोझ को उठा सकें?”

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि इस तरह के प्रावधान केंद्र और राज्यों के बीच नया टकराव पैदा करेंगे।

वहीं, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने भी इस बिल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ मनरेगा का नाम बदलने का नहीं है, बल्कि इससे कहीं ज्यादा गंभीर है।

प्रेमचंद्रन ने कहा, “इस योजना और कानून से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम हटाना एक अपमान है। हमें महात्मा गांधी पर गर्व होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से भाजपा नहीं चाहती कि इस योजना का नाम गांधी जी से जुड़ा रहे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर महात्मा गांधी के नाम को हटाने की कोशिश कर रही है, जबकि गांधी जी देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “यह सरकार महात्मा गांधी के राजनीतिक और सामाजिक नाम को मिटाना चाहती है। लेकिन गांधी ऐसा नाम है जिसे कोई मिटा नहीं सकता।”

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