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झारखंड में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के संवैधानिक अधिकारों और प्रतिनिधित्व को लेकर राष्ट्रीय ओबीसी अधिकारी कर्मचारी मोर्चा ने 21 दिसंबर 2025 को राज्यव्यापी महा-संकल्प कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की है। संगठन ने साफ कहा है कि अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि मांगों पर ठोस कार्रवाई करते हुए अधिसूचना जारी की जाए।
मोर्चा के अनुसार, ओबीसी समाज के आरक्षण, प्रोन्नति और सामाजिक न्याय से जुड़े कई मुद्दे अब भी लंबित हैं। इन्हीं मांगों को मजबूती से सरकार के समक्ष रखने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों और बुद्धिजीवियों को एकजुट किया जाएगा।
इनकी प्रमुख मांगें है —
- एससी-एसटी-ईडब्ल्यूएस की तर्ज पर ओबीसी को जनसंख्या अनुपात में आरक्षण।
- सरकारी नौकरियों में ओबीसी को प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान।
- शून्य ओबीसी आरक्षण वाले सात जिलों में आरक्षण सुनिश्चित किया जाए।
- ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर समाप्त की जाए, अथवा उसकी वैधता तीन वर्ष तय हो।
- स्वतंत्र ओबीसी मंत्रालय का गठन कर जनसंख्या अनुपात में बजट का प्रावधान।
- सभी सरकारी नियुक्तियों में ओबीसी अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु-सीमा में कम से कम पांच वर्ष की छूट।
- प्रतियोगी परीक्षाओं के साक्षात्कार में पारदर्शिता के लिए कोड नंबर प्रणाली लागू की जाए।
- हाईकोर्ट और जिला न्यायालयों में ओबीसी को न्यायिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
- सभी नियुक्ति विज्ञापनों में वर्षवार रोस्टर को स्पष्ट चार्ट के रूप में प्रकाशित किया जाए।
- नियुक्ति, प्रोन्नति और स्थानांतरण समितियों में ओबीसी प्रतिनिधित्व अनिवार्य हो।
- ओबीसी शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया जाए।
- सभी जिलों में ओबीसी छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था।
- झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त निगम को पूर्ण रूप से क्रियाशील किया जाए।
मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि ओबीसी वर्ग के संवैधानिक अधिकारों और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए इन मांगों पर शीघ्र निर्णय लेकर प्रभावी कार्रवाई की जाए।

