भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था की तीव्र गति और वैश्विक कंपनियों के बढ़ते भरोसे ने देश को दुनिया के सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में शामिल कर दिया है। हाल के दिनों में अमेरिकी टेक दिग्गज Google और Microsoft ने भारत में रिकॉर्ड स्तर पर निवेश की घोषणाएँ की हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत वैश्विक डेटा और एआई इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
Microsoft ने घोषणा की है कि वह 2029 तक भारत में 17.5 बिलियन डॉलर का निवेश करेगा। इससे पहले कंपनी वर्ष की शुरुआत में 3 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त निवेश योजना घोषित कर चुकी है। कुल मिलाकर Microsoft का भारत में निवेश 20 बिलियन डॉलर से अधिक हो जाएगा। दूसरी तरफ Google भी भारत में डेटा हब और डेटा सेंटर स्थापित करने के लिए 5 बिलियन डॉलर निवेश करने की तैयारी में है। इनके साथ कई अन्य अमेरिकी कंपनियाँ भी भारत में एआई-आधारित डेटा हब स्थापित करने को उत्सुक दिख रही हैं।
इन निवेशों का प्रमुख कारण भारत की लगातार बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था और स्थिर आर्थिक विकास दर है। हालिया तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर 8% से अधिक रही है, जिसे देखते हुए IMF और विश्व बैंक दोनों ने भारत को आने वाले वर्षों में वैश्विक विकास का प्रमुख इंजन बताया है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि दुनिया में तेजी से बढ़ती ऑनलाइन गतिविधियाँ—मोबाइल लेन-देन, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और क्लाउड-आधारित सेवाएं—डेटा सेंटरों की मांग को बढ़ा रही हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 150 डेटा सेंटर सक्रिय हैं, जबकि अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों के मुकाबले यह संख्या काफी कम है। आने वाले 3–4 वर्षों में भारत में डेटा सेंटर निर्माण का सबसे बड़ा दौर देखने को मिल सकता है।
अमेरिका की वर्तमान नीतियों, विशेष रूप से वीज़ा प्रतिबंधों और घरेलू रोजगार संरक्षण की मांगों के चलते, कई अमेरिकी कंपनियाँ अपने डेटा सेंटरों को एशिया की ओर स्थानांतरित कर रही हैं। भारत और कनाडा इन कंपनियों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं। Microsoft ने हाल ही में कनाडा में भी नए डेटा सेंटर स्थापित करने की घोषणा की है।
भारत में डेटा सेंटर निर्माण से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार में तेज़ वृद्धि होगी। तकनीकी विशेषज्ञों, डेटा इंजीनियरों, सुरक्षा विशेषज्ञों और एआई पेशेवरों की मांग बढ़ने की संभावना है। Microsoft ने कहा है कि वह भारत में 20 मिलियन युवाओं को एआई और डेटा से जुड़े कौशल प्रदान करेगा, जिससे देश में डिजिटल कार्यबल का व्यापक विस्तार होगा।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में भारत अपने डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि बांग्लादेश, नेपाल और आसियान देशों को भी डेटा सेवाएँ प्रदान कर सकता है। “डेटा इज़ द न्यू ऑयल” की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए, यह निवेश भारत के लिए विशाल आर्थिक अवसर पैदा कर सकता है।
चुनौतियों की बात करें तो भारत को विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर, साफ-सफाई, बिजली आपूर्ति और सिविक मैनेजमेंट में सुधार की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत इन मूलभूत सुविधाओं को मजबूत करता है, तो आने वाले दशक में देश दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल पावरहाउस के रूप में उभर सकता है।

