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झारखंड की शिक्षा व्यवस्था से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयक—राज्य विश्वविद्यालय विधेयक 2025 और कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025—को राज्यपाल ने आपत्तियों के साथ सरकार को वापस लौटा दिया है। ये विधेयक मानसून सत्र में पारित होने के बाद राजभवन भेजे गए थे। फिलहाल दोनों प्रस्ताव उच्च शिक्षा विभाग में पुनर्विचार के लिए लंबित हैं।
कुलपति नियुक्ति संबंधी प्रावधान पर तीखी आपत्तियाँ
राज्य विश्वविद्यालय विधेयक में कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया में राज्यपाल की भूमिका समाप्त करने का प्रस्ताव था। इस प्रावधान पर राजनीतिक दलों, छात्र संगठनों और कई शिक्षाविदों ने कड़ा विरोध जताया।विपक्ष ने आरोप लगाया कि इस बदलाव से विश्वविद्यालयों पर सरकार का सीधा नियंत्रण बढ़ जाएगा। कई संगठनों ने इसे छात्रों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला कदम बताया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर आपत्ति दर्ज कराई।
कोचिंग सेंटर विधेयक पर भी आपत्ति, बैंक गारंटी को बताया बोझ
कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 में कई नए प्रावधान शामिल हैं:
- 50 से अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थानों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
- रजिस्ट्रेशन के समय बैंक गारंटी देना अनिवार्य
- 1000+ छात्रों वाले संस्थानों में मनोचिकित्सक नियुक्त करने का प्रावधान
- जिला व राज्य स्तर पर रेगुलेटरी कमेटी गठन
कोचिंग संचालकों ने इन प्रावधानों का विरोध करते हुए कहा कि बैंक गारंटी से आर्थिक दबाव बढ़ेगा, जिसका भार अंततः छात्रों पर ही पड़ेगा। इसी को आधार बनाकर कई संगठनों ने राजभवन में ज्ञापन देकर आपत्ति दर्ज कराई थी।
विधेयक लौटने से कानून बनने की प्रक्रिया धीमी
राज्यपाल ने दोनों विधेयकों को यह कहते हुए लौटाया है कि पहले सभी आपत्तियों का निपटारा किया जाए। अब दोनों विधेयक सरकार और विभागीय समीक्षा के बाद ही दोबारा विधानसभा या राजभवन भेजे जाएंगे।इससे इनके लागू होने की प्रक्रिया में स्पष्ट रूप से देरी की संभावना बढ़ गई है।

