सेंट्रल विस्टा में बड़ा परिवर्तन: PMO नए कैंपस में शिफ्ट, नॉर्थ–साउथ ब्लॉक बनेंगे संग्रहालय
LIVE 7 TV / DELHI
केंद्र सरकार ने सरकारी प्रतिष्ठानों के नामों में बड़े पैमाने पर बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नया नाम ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया है। इसके साथ ही देशभर के राज्य भवनों को ‘लोक भवन’ और केंद्रीय सचिवालय को ‘कर्तव्य भवन’ नाम दिया गया है।
सरकार का कहना है कि यह कदम सत्ता की परंपरागत पहचान से हटकर सेवा-प्रधान प्रशासनिक संस्कृति की ओर एक प्रयास है। अधिकारियों के अनुसार यह केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि संस्थागत मानसिकता में बदलाव का प्रतीक है।
राज भवन के नाम में बदलाव क्यों?
गृह मंत्रालय ने बताया कि ‘राज भवन’ नाम औपनिवेशिक सोच का संकेत देता है। इसी कारण राज्यपाल और उप-राज्यपाल के सरकारी आवास अब क्रमशः लोक भवन और लोक निवास के रूप में पहचाने जाएंगे।
PMO नई कैंपस में शिफ्ट होगा
78 वर्ष पुराने साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को अब ‘सेवा तीर्थ’ परिसर में स्थानांतरित किया जाएगा।
यह स्थानांतरण सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हाल ही में कैबिनेट सचिव टी.वी. सोमनाथन सेवा तीर्थ-2 में सेना प्रमुखों के साथ बैठक कर चुके हैं।
सेवा तीर्थ परिसर में प्रमुख इकाइयाँ—
- सेवा तीर्थ-1: प्रधानमंत्री कार्यालय
- सेवा तीर्थ-2: कैबिनेट सचिवालय
- सेवा तीर्थ-3: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) का कार्यालय
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है?
सेंट्रल विस्टा परियोजना के अंतर्गत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक पूरे प्रशासनिक क्षेत्र का व्यापक पुनर्निर्माण शामिल है। इसमें नया संसद भवन, प्रधानमंत्री आवास, उप-राष्ट्रपति आवास और मंत्रालयों के लिए आधुनिक केंद्रीय सचिवालय कॉम्प्लेक्स का निर्माण शामिल है।परियोजना का शिलान्यास दिसंबर 2020 में हुआ था और इसके लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है।
कर्तव्य पथ के आसपास बड़े बदलाव
सरकार इस 3 किलोमीटर लंबे क्षेत्र को आधुनिक, पैदल यात्रियों के लिए अनुकूल और संगठित सरकारी जोन में बदल रही है।
नया कॉमन सेंट्रल सचिवालय (अब कर्तव्य भवन) 10 कार्यालय ब्लॉकों में तैयार किया जा रहा है, जिनमें कई मंत्रालय पुरानी इमारतों से स्थानांतरित किए जाएंगे।
नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक का नया स्वरूप
ऐतिहासिक नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक को भविष्य में ‘युग-युगीन भारत संग्रहालय’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए एक फ्रांसीसी म्यूजियम विकास एजेंसी के साथ समझौता किया गया है।

