चेन्नई, 28 जुलाई (लाइव 7): अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इसरो’ का ‘सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) उपग्रह’ 30 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 5:40 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा।
2,400 किलोग् वज़न के इस उपग्रह को इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-एफ16 (जीएसएलवी-एफ16) की मदद से आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
इसरो ने हालांकि स्पष्ट किया है कि प्रक्षेपण काफी नजदीक है लेकिन इसका पूर्ण वैज्ञानिक संचालन इसके सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित होने के लगभग तीन महीने बाद ही शुरू होगा। लेकिन यह प्रारंभिक अवधि उन्नत वेधशाला तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।
इसरो के अनुसार निसार उपग्रह से जुड़े मिशन को अलग-अलग चरणों में विभाजित किया गया है। 30 जुलाई को प्रक्षेपण चरण के बाद उपग्रह अपने ‘तैनाती’ चरण में प्रवेश करेगा। इस महत्वपूर्ण चरण में निसार के 12 मीटर व्यास वाले ‘रिफ्लेक्टर’ को कक्षा में जटिल रूप से ‘खोलना’ शामिल है। यह नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (जेपीएल) द्वारा विकसित एक प्रमुख घटक है । यह उपग्रह से 9 मीटर की दूरी तक विस्तृत होगा।
इसके बाद मिशन 90-दिवसीय ‘अपने कार्य करने के’ चरण में प्रवेश करेगा जिसे “इन-ऑर्बिट चेकआउट (आईओसी)” भी कहा जाता है। यह अवधि पूरी तरह से वेधशाला के लिए वैज्ञानिक कार्यों को सावधानीपूर्वक करने से संबद्व है। इसमें उपग्रह की मुख्य प्रणालियों की प्रारंभिक जाँच और मांप- तोल शामिल होगा जिसके बाद जेपीएल द्वारा पेलोड और उपकरणों की गहन इंजीनियरिंग जाँच की जाएगी।
इस कमीशनिंग चरण के सफल समापन के बाद ही ‘विज्ञान संचालन चरण’ शुरू होगा जो मिशन की पूरी अवधि तक चलेगा। इस चरण के दौरान वैज्ञानिक प्रेक्षणों में व्यवधान को कम करने के लिए नियमित अभ्यासों की मदद से निसार को विज्ञान कक्षा को बनाए रखा जाएगा। इस दौरान व्यापक नाप ताेल और सत्यापन (कैलवैल) गतिविधियाँ भी जारी रहेंगी। एल-बैंड और एस-बैंड दोनों उपकरणों के लिए विस्तृत प्रेक्षण योजना सभी आवश्यक इंजीनियरिंग गतिविधियों के साथ जेपीएल और इसरो के बीच निरंतर समन्वय के माध्यम से प्रक्षेपण से पहले ही तैयार की जा रही है।
गौरतलब है कि निसार एक अभूतपूर्व मिशन बनने के लिए तैयार है जो पृथ्वी के बदलते पारिस्थितिक तंत्रों, गतिशील सतहों और हिमखंडों का अवलोकन करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन से सभी मौसमों के दौरान दिन-रात का डेटा प्रदान करेगा। इस डेटा से भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों के बारे में काफी बदलाव आने की उम्मीद है। यह जलवायु परिवर्तन, कृषि और जल संसाधनों पर अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करेगा।
नवनी, जितेन्द्र
लाइव 7
भारत-अमेरिकी सहयोग से निर्मित उपग्रह निसार का प्रक्षेपण बुधवार को
Leave a Comment
Leave a Comment

