नयी दिल्ली 25 मई (लाइव 7) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में सिक्किम और उत्तराखंड में स्थानीय कलाओं को संवारने को जीवन को सच्चा अर्थ देना करार दिया है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित होने वाले मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 122वें अंक में कहा, ‘दो-तीन दिन पहले ही मैं पहली उभरता पूर्वोत्तर शिखर सम्मेलन में गया था। उससे पहले हमने पूर्वोत्तर के सामर्थ्य को समर्पित ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव’ भी मनाया था। पूर्वोत्तर की बात ही कुछ और है, वहां का सामर्थ्य, वहां की प्रतिभा, वाकई अद्भुत है। मुझे एक दिलचस्प कहानी पता चली है क्राफ्टेड फाइबर्स की। क्राफ्टेड फाइबर्स ये सिर्फ एक ब्रांड नहीं, सिक्किम की परंपरा, बुनाई की कला, और आज के फैशन की सोच – तीनों का सुन्दर संगम है। इसकी शुरुआत की डॉ० चेवांग नोरबू भूटिया ने। पेशे से वो वेटेनरी डाॅक्टर हैं और दिल से सिक्किम की संस्कृति के सच्चे ब्रांड एम्बेसडर। उन्होंने सोचा क्यूं न बुनाई को एक नया आयाम दिया जाए और इसी सोच से जन्म हुआ क्राफ्टेड फाइबर्स का। उन्होंने पारंपरिक बुनाई को आधुनिक फैशन से जोड़ा और इसे बनाया एक सोशल एंटरप्राइज। अब उनके यहां केवल कपड़े नहीं बनते, उनके यहां ज़िंदगियाँ बुनी जाती हैं। वे स्थानीय लोगों को कौशल प्रशिक्षण देते हैं, उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। गांवों के बुनकर, पशुपालक और स्वसहायता समूहों आदि सबको जोड़कर डॉ० भूटिया ने रोजगार के नए रास्ते बनाए हैं। आज स्थानीय महिलाएं और कारीगर अपने हुनर से अच्छी कमाई कर रहे हैं। क्राफ्टेड फाइबर्स के शॉल, स्टोल, दस्ताने, मोज़े, सब, स्थानीय हैंडलूम से बने होते हैं। इसमें जो ऊन का इस्तेमाल होता है, वो सिक्किम के खरगोशों और भेड़ों से आता
है। रंग भी पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं कोई कैमिकल नहीं, सिर्फ प्रकृति की रंगत। डॉ० भूटिया ने सिक्किम की पारंपरिक बुनाई और संस्कृति को एक नई पहचान दी है। डॉ० भूटिया का काम हमें सिखाता है कि जब परंपरा को अभिरुचि से जोड़ा जाए, तो वो दुनिया को कितना लुभा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘आज मैं आपको एक ऐसे शानदार व्यक्ति के बारे में बताना चाहता हूँ जो एक कलाकार भी हैं और जीती-जागती प्रेरणा भी हैं। नाम है जीवन जोशी, उम्र 65 साल। अब सोचिए जिनके नाम में ही जीवन हो, वो कितनी जीवंतता से भरे होंगे। जीवन जी उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहते हैं। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की ताकत छीन ली थी, लेकिन पोलियो, उनके हौसलों को नहीं छीन पाया। उनके चलने की रफ्तार भले कुछ धीमी हो गई, लेकिन उनका मन कल्पना की हर उड़ान उड़ता रहा। इसी उड़ान में, जीवन जी ने एक अनोखी कला को जन्म दिया – नाम रखा ‘बगेट’। इसमें वो चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियाँ बनाते हैं। वो छाल, जिसे लोग आमतौर पर बेकार समझते हैं – जीवन जी के हाथों में आते ही धरोहर बन जाती है। उनकी हर रचना में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू होती है। कभी पहाड़ों के लोक वाद्ययंत्र, तो कभी लगता है जैसे पहाड़ों की आत्मा उस लकड़ी में समा गई हो। जीवन जी का काम सिर्फ कला नहीं, एक साधना है। उन्होंने इस कला में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। जीवन जोशी जैसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर इरादा मजबूत हो, तो नामुमकिन कुछ नहीं। उनका नाम जीवन है और उन्होंने सच में दिखा दिया कि जीवन जीना क्या होता है।’
प्रधानमंत्री ने ड्रोन पायलट के रूप में खेती के काम में महिलाओं की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आज कई ऐसी महिलाएं हैं, जो खेतों के साथ ही अब आसमान की ऊंचाइयों पर काम कर रही हैं। अब गाँव की महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर ड्रोन उड़ा रही हैं और उससे खेती में नई क्रांति ला रही हैं।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में कुछ समय पहले तक जिन महिलाओं को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता था आज वे ही महिलाएं ड्रोन से 50 एकड़ जमीन पर दवा के छिड़काव का काम पूरा कर रही हैं। सुबह तीन घंटे, शाम दो घंटे और काम निपट गया। धूप की तपन नहीं, जहर जैसे केमिकल का खतरा नहीं। साथियो, गाँववालों ने भी इस परिवर्तन को दिल से स्वीकार किया है। अब ये महिलाएं ‘ड्रोन ऑपरेटर’ नहीं, ‘स्काई वाॅरियर्स’ के नाम से जानी जाती हैं। ये महिलाएं हमें बता रही हैं – बदलाव तब आता है जब तकनीक और संकल्प एक साथ चलते हैं।
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सिक्किम और उत्तराखंड में स्थानीय कलाओं को संवारना जीवन को सच्चा अर्थ देना-मोदी
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