रांची: कहते हैं, “प्रतिभा ना उम्र देखती है, ना हालात” — और इस बात को सच साबित कर दिखाया है रांची की रहने वाली मात्र 6 साल की हर्षिका ने। इतनी कम उम्र में, जब बच्चे अभी ठीक से बोलना और समझना सीख रहे होते हैं, हर्षिका ने अपने टैलेंट और मेहनत के दम पर रांची राज्य ओर राज्य से बाहर में पहचान बना ली है। आज वह सैकड़ों अवार्ड की विजेता बनकर न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि पूरे समाज का नाम रौशन कर रही है। ज्ञात हो कि हर्षिका रांची विश्वविद्यालय में कार्यरत सुधीर मंडल की पुत्री हैं, हर्षिका की माता गृहणी है।
छोटी सी उम्र, बड़े बड़े मंच

हर्षिका ने अपनी प्रतिभा से यह साबित कर दिया है कि किसी भी मंच तक पहुंचने के लिए उम्र की नहीं, बल्कि जुनून और समर्पण की जरूरत होती है। चाहे डांस हो, अभिनय, मॉडलिंग या मंच संचालन—हर्षिका ने हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
मीडिया पर छाई नन्हीं स्टार
मीडिया चाहे अखबार हो, इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया हो या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर हर्षिका की मौजूदगी और फॉलोवर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है। उसकी मासूमियत और टैलेंट का मेल उसे लाखों दिलों की धड़कन बना रहा है। छोटे-छोटे वीडियो क्लिप्स में उसकी परफॉर्मेंस देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
हौसले ने बनाया मुकाम

हर्षिका का सफर आसान नहीं रहा। इतने कम उम्र में अनुशासन, अभ्यास और एकाग्रता को बनाए रखना किसी भी बच्चे के लिए एक चुनौती होती है। लेकिन हर्षिका ने यह सब अपने मासूम लेकिन मजबूत इरादों से कर दिखाया है। उनके माता-पिता का भी इसमें अहम योगदान रहा है, जो हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे।
पुरस्कारों की लंबी सूची

आज हर्षिका के नाम लगभग 100 से ज्यादा अवार्ड,मेडल ओर सर्टिफिकेट हैं, जिनमें राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर के सम्मान भी शामिल हैं। हाल ही में उसे एक प्रतिष्ठित ‘यंग अचीवर अवार्ड’ से भी नवाजा गया है। इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों, मॉडलिंग शो और स्कूल लेवल प्रतियोगिताओं में भी वह शीर्ष स्थान पर रही है।
समाज में एक मिसाल
हर्षिका सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि आज के बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। वह यह संदेश दे रही है कि अगर जुनून हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। उसकी सफलता कई अभिभावकों को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि उनके बच्चे भी खास हैं—जरूरत है तो उन्हें सही मार्गदर्शन और मंच देने की।
सपनों की उड़ान जारी है

मात्र 6 साल की उम्र में इतनी उपलब्धियां हासिल करने वाली हर्षिका यहीं रुकने वाली नहीं है। उसके सपनों की उड़ान अभी और ऊंची है। वह आगे चलकर अभिनय और नृत्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती है।
माता-पिता का सहयोग
हर्षिका के पिता बताते हैं कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी बेटी इतनी जल्दी इतनी ऊंचाई पर पहुंच जाएगी। लेकिन जब उन्होंने देखा कि हर्षिका को मंच पर परफॉर्म करने में खुशी मिलती है, तो उन्होंने उसे प्रोत्साहित करना शुरू किया। मां भी हर शो, रिहर्सल और प्रतियोगिता में उसका साथ देती हैं।
शिक्षा और अनुशासन
इतनी व्यस्तता के बावजूद हर्षिका पढ़ाई में भी अव्वल है। हर्षिका डिवाइन पब्लिक स्कूल रांची में पढ़ती है इस स्कूल में उसके शिक्षक बताते हैं कि वह एक अनुशासित और जिज्ञासु छात्रा है। वह न केवल पढ़ाई में रुचि लेती है, बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेती है।
भविष्य की योजनाएं

हर्षिका के माता-पिता चाहते हैं कि वह अपनी कला को आगे लेकर जाए, लेकिन साथ ही पढ़ाई को भी प्राथमिकता दे। वे उसे संतुलन सिखा रहे हैं ताकि वह एक बेहतर कलाकार और एक जिम्मेदार नागरिक बन सके।
हर्षिका की कहानी उन सभी बच्चों और अभिभावकों के लिए एक प्रेरणा है जो प्रतिभा को पहचान कर उसे उड़ान देना चाहते हैं। मात्र 6 साल की उम्र में सैकड़ों पुरस्कार हासिल कर चुकी हर्षिका आने वाले वर्षों में और भी ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है।

वह सही मायनों में इस पंक्ति की जीती-जागती मिसाल बन चुकी है —
“अपने हौसलों के बल पर हम, अपनी प्रतिभा दिखा देंगे,
भले कोई मंच ना दे हमको, अपनी प्रतिभा से मंच अपना बना लेंगे।” को सार्थक कर रही हैं।

