नयी दिल्ली 28 फरवरी (लाइव 7) दिल्ली विधानसभा में शुक्रवार को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में पेश की गयी जिसमें 2016-17 से 2021-22 तक दिल्ली की सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की सार्वजनिक अवसंरचना एवं प्रबंधन के काम का ऑडिट किया गया है।
सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे प्रारंभ होने के बाद सबसे पहले विधानसभा सदस्यों ने नियम 2.80 के तहत अपने-अपने क्षेत्रों की समस्याओं को उठाया। इस चर्चा में श्री करतार सिंह तवंर, श्री कुलवंत राणा, श्रीमती शिखा रॉय, सर्वश्री राजकुमार भाटिया, रविंद्र सिंह नेगी, सतीश उपाध्याय, जितेंद्र महाजन, गजेंद्र सिंह ड्राल , सूर्य प्रकाश खत्री, अजक कुमार महावत, गोयल और ओ.पी. शर्मा ने भाग लिया।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को सदन की पटल पर स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी कैग की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा, जिसके बाद श्रीमती गुप्ता ने सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना एवं स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन नाम से कैग की रिपोर्ट को सदन पटल पर रखा।
दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं पर कैग की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन सरकार में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में ‘घोर’ कुप्रबंधन रहा। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन आप सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा जारी कुल 787.91 करोड़ रुपये में से केवल 582.84 करोड़ रुपये का उपयोग किया।
कैग की इस रिपोर्ट पर सदन में चर्चा की शुरुआत भाजपा विधायक हरीश खुराना ने तत्कालीन आप सरकार पर हमला बोला और कहा कि 240 पेज की रिपोर्ट को देखें, तो साफ दिखाई देता है कि स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं की गई हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल के शासन में सिर्फ तीन अस्पताल या तो बने हैं या उसे विस्तारित किया गया है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी अस्पताल के निर्माण में पांच साल की देरी हुई, जिससे 314 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बुराड़ी के अस्पताल में भी देरी हुयी। उन्होंने कहा कि तीन अस्पताल के निर्माण में हुयी देरी के कारण 382 करोड़ का अतिरिक्त खर्च हुआ। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान केंद्र सरकार ने जो राशि दी थी, उसका भी इस्तेमाल नहीं किया गया।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने पूर्ववर्ती आप सरकार के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह से अनियमितता और लापरवाही बरती गयी, इसके अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य देखभाल सुविधा को लेकर केंद्र सरकार ने जो पैसा दिया, उसका दिल्ली सरकार उपयोग नहीं कर पायी। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने जो जगह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दी, उसका भी उसका उपयोग नहीं किया। उन्होंने कहा, “लोगों को खराब गुणवत्ता की दवाई मिली। जिन कंपनियों को कई प्रदेश में काली सूची में डाल रखा था, उन से भी दिल्ली सरकार ने संपर्क बनाये रखा और लगातार फायदा पहुंचाने के लिए दवाई लेते रहे।”
उन्होंने कहा, “तीन- चार अस्पताल को विस्तारित करने में बजट बढ़ाते रहे और आज तक काम पूरा नहीं हुआ। अस्पतालों में टीबी की दवा, रेबीज के इंजेक्शन नहीं हैं। सरकार का स्टॉक रजिस्टर्ड उपलब्ध नहीं है। केवल बजट की बंदरबांट करना यही आप की सरकार का उद्देश्य रहा। इस सभी रिपोर्ट को देखते हुए लगता है कि वैश्विक स्तर की स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने का दावा जो दिल्ली की तत्कालीन सरकार करती थी, उसका गुब्बारा फूट चुका है। दिल्ली की तत्कालीन सरकार ने जो लक्ष्य स्थापित किए उसको हासिल करने में असफल रही।”
श्री शर्मा ने कहा, “अस्पतलों में न तो फैकल्टी है और न डॉक्टर हैं, न दवाई है। जेजे क्लस्टर के अस्पताल में महिलाओं को मैटरनिटी के लिए दर- दर भटकना पड़ता है। मैटरनिटी डिपार्टमेंट बंद है। चाचा नेहरू अस्पताल जहां केवल बच्चों का इलाज होता है, वहां भी हाल बेहाल है। पूरी दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने केवल लूट के अलावा और कोई सुविधा दी नहीं।”
उन्होंने कैग की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने केवल सुविधाओं की घोषणा की, उनके बड़े विज्ञापन छपवाए, लेकिन वे कब शुरू हुए और कब खत्म हुए, इसकी जानकारी जनता को भी नहीं है। इसके बारे में कैग रिपोर्ट में जरूर लिखा है। वर्ष 2018 में सुविधा शुरू हुई और 2020 में समापन हो गया। ना चालू होते दिखा ना बंद होते, यह केवल विज्ञापन में ही नजर आया।
उन्होंने कहा, “मैं यह समझता हूं कि दूसरे और तीसरे चैप्टर में मोहल्ला क्लीनिक का मुद्दा आएगा, तो लोगों को वैश्विक स्तर का स्वास्थ्य घोटाले का पता चलेगा। ये समझ में आएगा कि लोगों की जान की कीमत पर किस प्रकार इन्होंने फंड की आपाधापी की, ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को पैसा दिया और किकबैक वापस लिए. किस प्रकार नकली दवाइयां दीं।”
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी से जुड़ी कैग की यह दूसरी रिपोर्ट है, जिसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने विधानसभा में रखा है। इससे पहले श्रीमती रेखा ने आबकारी नीति से संबंधित कैग की पहली रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा था, जिसमें आम आदमी पार्टी (आप) की गलत नीतियों की वजह से 2002.68 करोड़ रुपये के सरकारी राजस्व की हानि होने की बात कही गयी है।
संतोष , ,
लाइव 7
दिल्ली विधानसभा में पेश हुयी स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी कैग की रिपोर्ट

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