फिल्म बाजीराव मस्तानी के प्रदर्शन के 9 साल पूरे

Live 7 Desk

मुंबई, 18 दिसंबर (लाइव 7) बॉलीवुड फिल्मकार   लीला भंसाली की सुपरहिट फिल्म बाजीराव मस्तानी के प्रदर्शन के नौ साल पूरे हो गए हैं।

आज से ठीक 9 साल पहले,   लीला भंसाली की महान कृति ‘बाजीराव मस्तानी’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। यह फिल्म न केवल साहस,   और बलिदान की कहानी है, बल्कि भारतीय सिनेमा की एक उत्कृष्ट मिसाल भी है। रणवीर सिंह ने फिल्म में पेशवा बाजीराव की भूमिका निभाई, जबकि प्रियंका चोपड़ा जोनस काशीबाई और दीपिका पादुकोण मस्तानी के रूप में नजर आईं। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और आज भी अपनी भव्यता और कहानी के लिए जानी जाती है।

रणवीर सिंह का पेशवा बाजीराव का किरदार उनके करियर का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन माना जाता है। इस किरदार को निभाने के लिए उन्होंने जो मेहनत की, वह फिल्म के हर फ्रेम में दिखाई देती है।

पेशवा बाजीराव का किरदार निभाना रणवीर सिंह के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। इस किरदार के लिए उन्होंने न केवल शारीरिक रूप से खुद को तैयार किया, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी खुद को इस भूमिका में ढाल लिया। रणवीर ने मराठा युद्धों में इस्तेमाल होने वाली दंड पटा तलवार चलाने की कला सीखी और इसमें महारत हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने मराठी लहजे में संवाद अदायगी को परफेक्ट बनाने के लिए कड़ी मेहनत की।

‘मल्हारी’ गाने की शूटिंग के दौरान रणवीर ने अपने पैर की अंगुली चोटिल कर ली थी, लेकिन उन्होंने चोट के बावजूद पूरा डांस सीक्वेंस उसी जोश और ऊर्जा के साथ पूरा किया। यह उनके समर्पण और प्रोफेशनलिज्म का एक बड़ा उदाहरण है।

रणवीर सिंह ने बाजीराव के किरदार में न केवल उनके साहस को उभारा, बल्कि उनके   और दर्द को भी बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर उतारा। उनकी परफॉर्मेंस ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया। निर्देशक   लीला भंसाली ने भी रणवीर की इस लगन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने बाजीराव के व्यक्तित्व को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया था।

भंसाली और इरोज इंटरनेशनल द्वारा निर्मित, फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’दुनियाभर में 356 करोड़ की कमाई करने में सफल रही। इसे सर्वश्रेष्ठ निर्देशन, अभिनय, संगीत और प्रोडक्शन डिजाइन के लिए कई पुरस्कार मिले। ‘बाजीराव मस्तानी’ ने भारतीय सिनेमा को एक ऐसा मील का पत्थर दिया है, जिसे आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी।

रणवीर सिंह के समर्पण और भंसाली की दूरदर्शी कहानी कहने की कला ने ‘बाजीराव मस्तानी’ को भारतीय सिनेमा का एक क्लासिक बना दिया। नौ साल बाद भी, यह फिल्म दर्शकों के दिलों पर राज कर रही है।

 

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