श्रीनगर, 02 दिसंबर (लाइव 7) नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि भारत के मुसलमान अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और केंद्र सरकार से सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार करने का आग्रह किया।
श्री अब्दुल्ला ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मैं भारत सरकार से इसे रोकने का आग्रह करता हूं। देश के 24 करोड़ मुसलमानों को समुंदर में नहीं फेंका जा सकता है। उन्हें मुसलमानों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए। यही हमारा संविधान है।”
उमराह करने के बाद श्रीनगर लौटते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि वह पवित्र तीर्थयात्रा के दौरान मुस्लिमों की भलाई और उन्हें शैतानों से बचाने के लिए इबादत किया।
उन्होंने कहा, “मैंने देश में विभिन्न धर्मों के बीच फैलाई जा रही नफरत को समाप्त करने और लोगों को फिर से भाईचारा और शांति प्रदान करने के लिए भी इबादत की।
नेकां अध्यक्ष ने देश के धार्मिक स्थलों पर किए जा रहे सर्वेक्षणों को समस्याजनक बताया और कहा कि वह प्रार्थना करते हैं कि नफरत फैलाने वाले अपने उद्देश्यों में सफल न हों।
श्री अब्दुल्ला ने कहा, “मैं भारत सरकार से देश में इस तरह के कृत्यों (सर्वेक्षणों) को रोकने के लिए कहूंगा।” उन्होंने कहा कि देश के संविधान में धर्म और लोगों की भाषा में कोई अंतर नहीं है।
कश्मीरी पंडितों पर एक सवाल के जवाब में श्री अब्दुल्ला ने कहा कि घाटी में पंडितों की वापसी के बारे में फैसला उन्हें खुद करना है।
श्री अब्दुल्ला ने कहा, “जब मैं मुख्यमंत्री था और जब अनुच्छेद 370 था, मैंने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की कोशिश की, लेकिन उन दिनों स्थिति खराब थी। कश्मीरी पंडितों को यहां आने से कौन रोकता है? यह उनका निर्णय है कि वे कब आना चाहते हैं। हमारे दिल उनके लिए खुले हैं।” उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को अपने घर लौटना चाहिए।
यह पूछे जाने पर कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाल में कर्मचारियों को क्यों बर्खास्त किया, श्री अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य सरकार हर चीज पर नजर रखेगी और देखेगी कि किस आधार पर उनकी सेवाएं समाप्त की गईं।
श्री अब्दुल्ला ने कहा कि केन्द्र सरकार को अपनी आरक्षण नीति पर फिर से विचार करना चाहिए।
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भारत में मुसलमान असुरक्षित महसूस कर रहे हैं: फारूक अब्दुल्ला
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