सागर विज़न को मोदी ने दिया विस्तार, अब होगा महासागर विज़न

Live 7 Desk

पोर्ट लुई, 12 मार्च (लाइव 7) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वैश्विक दक्षिण के लिए भारत के दृष्टिकोण – सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र उन्नति यानी महासागर- की घोषणा की, जो एक दशक पहले मॉरीशस में घोषित ‘सागर विज़न’ का उन्नत रूप है।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र  गुलाम और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यहां पोर्ट लुई में एक प्रेस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि मॉरीशस भारत का महत्वपूर्ण साझीदार है, चाहे वह वैश्विक दक्षिण, हिंद महासागर या अफ्रीकी महाद्वीप का हिस्सा हो। दस साल पहले, विज़न सागर की नींव रखी गई थी, जिसका मतलब है ‘क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास’। हम इस क्षेत्र की स्थिरता और समृद्धि के लिए सागर विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैं। “आज, इसे आकार देते हुए, मैं कहना चाहता हूं कि ग्लोबल साउथ के लिए हमारा विजन सागर से आगे बढ़कर ‘महासागर’ होगा, यानी -क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक एवं समग्र उन्नति।”
उन्होंने कहा, “इसमें विकास के लिए व्यापार, सतत विकास के लिए क्षमता निर्माण और साझा भविष्य के लिए पारस्परिक सुरक्षा के विचार शामिल होंगे। इसके तहत, हम प्रौद्योगिकी साझाकरण, रियायती ऋण और अनुदान के माध्यम से सहयोग बढ़ाएंगे।”
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नवीनचंद्र  गुलाम और वह इस बात पर सहमत हुए थे कि रक्षा सहयोग और समुद्री सुरक्षा रणनीतिक साझीदारी के प्रमुख स्तंभ हैं। स्वतंत्र, खुला और सुरक्षित हिंद महासागर हमारी साझा प्राथमिकता है। हम मॉरीशस के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अपना पूरा समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस संबंध में, हम तटरक्षक बल की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान करेंगे। भारत मॉरीशस में पुलिस अकादमी और राष्ट्रीय समुद्री सूचना साझाकरण केंद्र की स्थापना में भी सहायता करेगा। दोनों पक्ष व्हाइट शिपिंग, ब्लू इकोनॉमी और हाइड्रोग्राफी में भी सहयोग को मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा, “हम चागोस के संबंध में मॉरीशस की संप्रभुता का पूरा सम्मान करते हैं। हम कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन और हिंद महासागर सम्मेलन जैसे मंचों के माध्यम से अपना सहयोग बढ़ाएंगे।”
श्री मोदी ने लोगों से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए कदमों की घोषणा करते हुए कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य, आयुष केंद्र, स्कूली शिक्षा, कौशल और गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जाएगा। हम मानव जाति के विकास के लिए एआई और डीपीआई यानी डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करने के लिए मिलकर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार मॉरीशस के लोगों के लिए भारत में चार धाम यात्रा और  ायण ट्रेल की तीर्थ यात्रा की सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि गिरमिटिया विरासत के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “भारत और मॉरीशस के बीच संबंध केवल हिंद महासागर से ही नहीं बल्कि हमारी साझा संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों से भी जुड़े हैं। हम आर्थिक और सामाजिक विकास की यात्रा में भागीदार हैं। चाहे प्राकृतिक आपदा हो या कोविड महामारी, हमने हमेशा एक-दूसरे का साथ दिया है। चाहे सुरक्षा हो या शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा हो या अंतरिक्ष, हम हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं।”
उन्होंने विकासात्मक सहयोग और क्षमता निर्माण के हिस्से के रूप में शुरू की गई परियोजनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा, “मॉरीशस में गति बढ़ाने के लिए मेट्रो एक्सप्रेस, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग, आ दायक जीवन के लिए सामाजिक आवास, अच्छे स्वास्थ्य के लिए ईएनटी अस्पताल, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई और रुपे कार्ड; सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाओं के लिए जन औषधि केंद्र खोले गये हैं।”
उन्होंने कहा कि अगालेगा द्वीप में बेहतर कनेक्टिविटी चक्रवात चिडो से प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता के त्वरित वितरण में सहायक थी। इसकी वजह से कई लोगों की जान बचाई जा सकी।
उन्होंने यह भी घोषणा की कि दोनों पक्षों ने साझीदारी को ‘विस्तारित रणनीतिक साझीदारी’ के रूप में बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, “हमने तय किया है कि भारत मॉरीशस में नए संसद भवन के निर्माण में सहयोग करेगा। यह मॉरीशस को लोकतंत्र की जननी की ओर से एक उपहार होगा। मॉरीशस में 100 किलोमीटर लंबी पानी की पाइपलाइन को आधुनिक बनाने का प्रयास किया जाएगा।” “सामुदायिक विकास परियोजनाओं के दूसरे चरण में, 50 करोड़ मॉरीशस रुपये की नई परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। अगले पांच वर्षों में, मॉरीशस के 500 प्रशासनिक अधिकारियों को भारत में प्रशिक्षण मिलेगा। इसके अलावा, हम स्थानीय मुद्रा में आपसी व्यापार के निपटान के लिए एक समझौते पर पहुँचे हैं।”
 
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