.. पुण्यतिथि 09 मार्च के अवसर पर ..
मुंबई, 09 मार्च (लाइव 7) बॉलीवुड में फिल्मकार के.आसिफ को एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जाता है,जिन्होंने तीन दशक लंबे सिने कैरियर में अपनी फिल्मों के जरिये दर्शको के दिल पर अमिट छाप छोड़ी।
के.आसिफ ने अपने सिने कैरियर में महज तीन-चार फिल्मों का निर्माण या निर्देशन किया लेकिन जो भी काम किया.पूरी तबीयत और जुनून के साथ किया। यही वजह है कि फिल्में बनाने की उनकी रफ्तार काफी धीमी रहती थी और उन्हें इसके लिए आलोचनाओं का सामना भी करना पडता था। जब लोग उनसे इस बारे में पूछते तो के.आसिफ बस यही कहते ..हो जायेगा। ..
के. आसिफ मूल नाम कमरूद्दीन आसिफ का जन्म 14 जून 1922 को उत्तर प्रदेश के इटावा में एक मध्यम वर्गीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। चालीस के दशक में जीवन यापन के लिये वह अपने मामा नजीर के पास मुंबई आ गये जहां उनकी दर्जी की दुकान थी। उनके मामा फिल्मों में कपड़े सप्लाई किया करते थे। साथ ही उन्होंने छोटे बजट की एक दो फिल्मों का निर्माण भी किया था। के.आसिफ अपने मामा के काम में हाथ बंटाने लगे।इसी दौरान उन्हें अपने मामा के साथ फिल्म स्टूडियो जाने का मौका मिलने लगा और धीरे-धीरे फिल्मों के प्रति उनकी रूचि बढ़ती गयी।
के. आसिफ सलीम-अनारकली की कहानी से काफी प्रभावित थे और उन्होंने सोच लिया था कि मौका मिलने पर वह इस पर फिल्म जरूर बनायेगे ।वर्ष 1945 में बतौर निर्देशक उन्होंने फिल्म ..फूल..से सिने कैरियर की शुरूआत की। पृथ्वीराज कपूर, सुरैया और दुर्गा खोटे जैसे बड़े सितारो वाली यह फिल्म टिकट खिडक़ी पर सुपरहिट साबित हुयी।फिल्म की सफलता के बाद के. आसिफ ने अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘मुगले आजम’ बनाने का निश्चय किया और शहजादा सलीम की भूमिका के लिये चंद्रमोहन, अनारकली की भूमिका के लिये अभिनेत्री वीणा और अकबर की भूमिका के लिये सप्रू का चुनाव किया।
जारी वाार्त