नयी दिल्ली, 10 जनवरी (लाइव 7) केंद्र सरकार देश में नवाचार पर आधारित स्टार्टअप इकाइयों के फलने-फूलने के लिये अनुकूल वातावरण विकसित करने के प्रयासों की सफलता को आधार बना कर अब स्टार्टअप के जरिये विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने जा रही है।
यह जानकारी शुक्रवार को यहां वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये ‘2016 की स्टार्टअप कार्ययोजना’ के आज नौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में डीपीआईआई के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने यहां शुक्रवार को कहा, “ प्रश्न किया जाता है कि हम नया क्या करने जा रहे हैं। .. अब हमारा फोकस (ध्यान) विनिर्माण क्षेत्र में इन्यूबेटरों को प्रोत्साहित करना है। हम विनिर्माण कार्य में लगी कंपनियों को कह रहे हैं कि वे अपनी नयी नयी चुनौतियों को के समाधान के लिये स्टार्टअप के लिए चैलेंज प्रतियोगितायें आयोजित करें। ”
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार की इस पहल में वोल्वो, आईटीसी , एसजेडब्ल्यू , योकोहामा, मिशेलिन, श्री सीमेंट और बोट जैसी कंपनियां विनिर्माण क्षेत्र में काम करने वाली स्टार्टअप इकाइयों को संसाधन, सीख और अपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के साथ सहयोगपूर्ण भागीदारी करना चाहती हैं।
श्री भाटिया ने कहा, “ हम 2025 में इसको गति देना चाहते हैं। विनिर्माण क्षेत्र की कंपनियों से कह रहे हैं कि आप अपनी खास समस्याओं, के समाधान प्रस्तुत करने के लिये गैंडचैलेंज प्रतिस्पर्धा का आयोजन करें। ”
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने 16 जनवारी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस घोषित किया है। इस सिलसिले में विभाग राजधानी और देश के बाहर पक्षधारकों के साथ विभिन्न कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की है।
डीपीआईआईटी सचिव ने बताया कि भारत 18-20 मार्च, 2025 को राजधानी में ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ आयोजित करने जा रहा है जो देश में इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा, इसमें भाग लेने के लिये सऊदी अरब ने विशेष रुचि दिखाई की है।
स्टार्टअप महाकुंभ में और यूरोप, अमेरिका तथा एशिया के दसियों दशों के शामिल होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि भारत ने 21 देशों के स्टार्टअप प्रोत्साहन निकायों के साथ सहयोग-सेतु और दो देशों के साथ सामरिक गठबंधन कर रखा है।
उन्होंने एक सवाल पर कहा, “ स्टार्टअप इकाइयों का देश से बाहर जाने जाने जैसा कोई मुद्दा इस समय नहीं है, उल्टा हमारे आंकड़े कह रहे हैं कि बाहर से स्टार्टअप अब भारत आ रहे हैं। ऐंजल कर के मुद्दे का समाधान पहले ही कर दिया गया है। भारतीय बाजार में इस समय मूल्यांकन (शेयर पर आधारित कंपनी का मूल्य) काफी अच्छा चल रहा है। ”
डीपीआईआईटी सचिव ने बताया कि स्टार्टअप कार्ययोजना के अंतर्गत स्टार्टअप इकाइयों के लिये मुख्यत: तीन योजनायें लागू की हैं, जिनमें नियम-प्रक्रिया सरलीकर के साथ हैंडहोल्डिंग (खड़े होने में सहायता), सीडफंड और फंड ऑफ फंड जैसी योजना के जरिये वित्तीय और पूंजीगत मदद तथा उद्योग और अकादमिक संस्थाओं के साथ उनकी की भागीदारी और इन्क्यूबेशन (सृजन सहयोग) की योजना शामिल है।
उन्होंने बताया कि फंड ऑफ फंड से इकाइयों को अब तक 80,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहयाता दी जा चुकी है और इस योजना से देश में वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) कारोबार का भी विकास हुआ है।
श्री भाटिया ने बताया कि भातर का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र शुरू में बहुत सीमित था। वर्ष 2016 में करीब 400 स्टार्टअप से बढ़ कर आज 1.57 लाख इकाइयां हो गयी हैं। प्रारंभ में 120 जिलों में स्टार्टअप कार्यरत पर अब इनका फैलाव 750 जिलों से अधिक में फैल गया है।
इसी तरह 2026 में केवल चार राज्यों की अपनी स्टार्टअप नीति थी, आज 31 राज्य अपनी स्टार्टअप प्रोत्साहन नीति चला रहे हैं। देश में 2016 में 8 यूनीकार्न (एक अरब डालर से ऊपर के मूल्यांकन वाले स्टार्टअप) की संख्या 118 तक पहुंच गयी है।
इस दौरान स्टार्टअप का वित्त पोषण आठ अरब डालर से बढ़कर 155 अरब डालर से अधिक हो गया है और स्टार्टअप इकाइयों में इस समय 17 लाख से अधिक लोगों को काम मिला हुआ है। नौ साल पहले यह संख्या 44 हजार थी।
श्री भाटिया ने कहा कि विभाग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर हर गांव में कम से कम एक स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखता है।
.श्रवण
लाइव 7
राष्ट्रीय स्टार्टअप कार्ययोजना के तहत अब विनिर्माण क्षेत्र को नयी धार देने की सरकार की रणनीति
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