..पुण्यतिथि 22 सितंबर के अवसर पर..
मुंबई, 22 सितंबर (लाइव 7) भारतीय सिनेमा जगत में दुर्गा खोटे को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने महिलाओं और युवतियों के लिए फिल्म इंडस्ट्री में काम करने का मार्ग प्रशस्त किया।
दुर्गा खोटे जिस समय फिल्मों में आईं, उन दिनों फिल्मों में काम करने से पहले पुरुष ही स्त्री पात्र का भी अभिनय किया करते थे। दुर्गा खोटे ने फिल्मों में काम करने का फैसला किया और इसके बाद से हीं सम्मानित परिवारों की लड़कियां और महिलाएं फिल्मों में काम करने लगीं। 14 जनवरी, 1905 को मुंबई में जन्मी दुर्गा खोटे ने वर्ष 1931 में प्रदर्शित प्रभात फिल्म कम्पनी की मूक फिल्म ‘फरेबी जाल’ में एक छोटी सी भूमिका से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने वी शांता की मराठी फिल्म ‘अयोध्येचा राजा’ (1932) में काम किया। इस फिल्म में उन्होंने रानी ता ती की भूमिका निभाई। अयोध्येचा राजा मराठी में बनी पहली सवाक फिल्म थी। इस फिल्म की सफलता के बाद दुर्गा खोटे बतौर अभिनेत्री अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गईं।
इसके बाद प्रभात फिल्म कंपनी की ही वर्ष 1932 में प्रदर्शित फिल्म ‘माया मछिन्द्र’ ने दुर्गा खोटे ने एक बहादुर योद्धा की भूमिका निभाई। इसके लिए उन्होंने योद्धा के कपड़े पहने और हाथ में तलवार पकड़ी। वर्ष 1934 में कलकत्ता की ईस्ट इंडिया फिल्म कंपनी ने ‘सीता’ फिल्म का निर्माण किया जिसमें दुर्गा खोटे के नायक पृथ्वीराज कपूर थे। देवकी कुमार बोस निर्देशित इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय ने उन्हें शीर्ष अभिनेत्रियों की कतार में खड़ा कर दिया।
जारी लाइव 7
महिलाओं के लिये फिल्मों में काम करने का मार्ग प्रशस्त किया दुर्गा खोटे ने
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