भारत 2047 तक उच्च आय वाला देश बनने को तैयार

Live 7 Desk

नई दिल्ली, 20 फरवरी (लाइव 7) क्षेत्रीय विकास, प्रौद्योगिकी और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता की बदौलत भारत आठ से 10 प्रतिशत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि के बल पर वर्ष 2047 तक एक उच्च आय वाला देश बनने और उसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 23 लाख करोड़ से 35 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
नैसकॉम और बैन एंड कंपनी की रिपोर्ट ‘इंडिया 2047 : ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया इनटू ए टेक-ड्रिवन इकोनॉमी’ के अनुसार, यह परिवर्तन देश के जनसांख्यिकीय लाभांश, तकनीकी नवाचार और क्षेत्रीय विकास से प्रेरित होगा। वर्ष 2047 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 60 प्रतिशत और विनिर्माण का 32 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो आर्थिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अगले कुछ दशकों में लगभग 20 करोड़ लोगों के कार्यबल में शामिल होने की उम्मीद है, जिससे भारत के पास उच्च-मूल्य वाली नौकरियों का सृजन करने और अपनी आर्थिक क्षमता को बढ़ाने का एक अनूठा अवसर होगा।
रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, रसायन, ऑटोमोटिव और सेवाओं को रणनीतिक रूप से विकसित होने वाले पांच प्रमुख क्षेत्र बताया गया है, जिनमें वैश्विक रुझानों और मापनीयता के साथ तालमेल बिठाने की क्षमता है। भारत की बढ़ती आय, कुशल श्रमिकों की संख्या और बुनियादी ढांचे में सुधार इस वृद्धि को और गति देंगे।
कृषि क्षेत्र में स्वचालित खेती, सटीक कृषि और डिजिटलीकरण के माध्यम से उत्पादकता में वृद्धि होगी और संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव होगा। विनिर्माण क्षेत्र में हाइपर-ऑटोमेशन, 3डी एवं 4डी एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, क्वांटम-संचालित आपूर्ति श्रृंखलाओं और सर्कुलर मैन्युफैक्चरिंग से अधिक कुशल और टिकाऊ उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
सेवा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) या मशीन लर्निंग (एमएल), जनरेटिव एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस जैसी नई तकनीकों के बढ़ते उपयोग से स्वचालन, निर्णय लेने और ग्राहक अनुभवों में सुधार होगा।
वहीं, इस आर्थिक दृष्टि को साकार करने के लिए कुछ संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान आवश्यक होगा। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक अनुमानित पांच करोड़ की कार्यबल कमी को दूर करने के लिए एसटीईएम शिक्षा और लक्षित कौशल विकास कार्यक्रमों का विस्तार करना जरूरी होगा। साथ ही पिछड़े एकीकरण और स्थानीय विनिर्माण को प्राथमिकता देने से भारत की महत्वपूर्ण घटकों के आयात पर निर्भरता कम होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई, हरित ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी और जीडीपी के अनुपात में शोध एवं विकास (आरएंडडी) निवेश को बढ़ाकर घरेलू नवाचार को तेज किया जा सकता है। इसके अलावा भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों का लाभ उठाना होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, मुक्त व्यापार समझौतों के माध्यम से व्यापार का विस्तार और अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका जैसे उभरते बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने से पारंपरिक व्यापार भागीदारों पर निर्भरता कम होगी और भारत की वैश्विक उपस्थिति मजबूत होगी।
नैसकॉम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगीता गुप्ता ने कहा, “भारत की आर्थिक वृद्धि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, कौशल अंतराल को पाटने और तकनीकी नवाचार एवं वैश्विक सहयोग को बढ़ाने पर निर्भर करेगी। डिजिटल और परिवहन अवसंरचना में निवेश, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाना हमें भविष्य की प्रौद्योगिकियों और वैश्विक व्यापार में अग्रणी बना सकता है।”
बैन एंड कंपनी के पार्टनर लोकेश पायिक ने कहा, “भारत उच्च आय वाले देश बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। वर्ष 2047 तक 23 लाख करोड़ डॉलर-35 लाख करोड़ डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के लक्ष्य को प्राप्त करने में क्षेत्रीय परिवर्तन, तकनीकी प्रगति और कार्यबल विकास की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह भारत को शुद्ध आयातक से एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी, निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था में बदल देगा।”
रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र इस परिवर्तन में प्रमुख भूमिका निभाएगा और वर्ष 2047 तक 3.5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है, जो वैश्विक उत्पादन में 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान देगा।
 
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