भारत की क्षमता , जर्मनी की अभियांत्रिकी मिल कर नए आयाम तय करती हैं:गोयल

Live 7 Desk

नयी दिल्ली, 25 अक्टूबर (लाइव 7) केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि जर्मनी की बारीक अभियांत्रिकी कला और भारत की भौतिक, डिजिटल अथवा सामाजिक बुनियादी ढांचे में विस्तार करने की क्षमता दुनिया के लिए कुछ असाधारण मानदंड स्थापित करने में सहायक हो सकती हैं।
श्री गोयल यहां जर्मनी के व्यवसाय जगत के 18वें एशिया प्रशांत सम्मेलन (एपीके) के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृत्रिम मेधा ( एआई ) अपनाने से लेकर सेमीकंडक्टर तक, देश के जीवंत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के साथ-साथ हरित प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने तक, भारत और जर्मनी के बीच तालमेल अभूतपूर्व विकास को गति दे सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि भारत और जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर सकते हैं और इस सहयोग को दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं और नागरिकों के लिए वास्तविक विकास में बदल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज का भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियाद पर खड़ी है और दुनिया भर के व्यवसायों के लिए देश में सुधार, उदारव्यवस्था और त्चरित निर्णय वाला भाविष्य मिलने जा रहा है। कार्यक्रम के आयोजन के लिए जर्मन बिजनेस की एशिया प्रशांत समिति और इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स का आभार व्यक्त करते हुए श्री गोयल ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी रहती है और वर्ष 2030 तक वैश्विक मध्यम वर्ग का दो-तिहाई हिस्सा एशिया में रहेगा। यह जनसांख्यिकीय बदलाव व्यवसायों के लिए लाभकारी स्थिति प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि कंपनियां अपनी पहुंच बढ़ाएंगी और उभरते क्षेत्रों का लाभ उठाएंगी।
श्री गोयल ने कहा कि यह सम्मेलन उभरते रुझानों की पहचान करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि यह सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है, तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है और भविष्य के औद्योगिक विकास के लिए नीतियों को आकार देता है।
जर्मन दार्शनिक आर्थर स्कोपेनहावर की उक्ति “उपनिषदों को पढ़ना मेरे जीवन को सुखदायक बनाता है” को उद्धृत करते हुए श्री गोयल ने सभी प्रतिभागियों से विशेष रूप से दिवाली से लेकर क्रिसमस और नए वर्ष तक के त्योहार की बधाई दी। उन्होंने श्री गोयल ने अपने भाषण का समापन रवींद्रनाथ टैगोर के एक उद्धरण के साथ किया, “उच्चतम स्तर की तरफ बढ़े, क्योंकि क्षमताएं आपके भीतर छिपी हैं। बड़े सपने देखें, क्योंकि हर सपना लक्ष्य से पहले देखा जाता है।”
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