नयी दिल्ली, 15 अगस्त (लाइव 7) प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 78वें स्वाधीनता दिवस पर देशवासियों को ‘निराशा के गर्त में डूबे तत्वों की विकृत सोच’ के प्रति सावधान करते हुये गुरुवार को कहा कि ऐसे तत्व देश और समाज के लिये अराजकता और विनाश का संकट पैदा कर देते हैं।
प्रधानमंत्री ने साथ में राष्ट्र हित में देश में सुधारों को बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार विपरीत दिशा में चल रहे तत्वों की सोच में बदलाव लाने का प्रयास भी करेगी।
श्री मोदी ने ऐतिहासिक लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, “ हम संकल्प के साथ बढ़ तो रहे हैं, बहुत आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग होते हैं, जो प्रगति देख नहीं सकते हैं, कुछ लोग होते हैं जो भारत का भला सोच नहीं सकते हैं, जब तक खुद का भला न हो, तब तक उनको किसी का भला अच्छा नहीं लगता है। ऐसे विकृत मानसिकता से भरे हुये लोगों की कमी नहीं होती है। ”
उन्होंने कहा कि ऐसे लोग की संख्या मुठ्ठी भर ही है पर, “ देश को ऐसे लोगों से बचना होगा। ” उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की गोद में पलती विकृति विनाश का कारण बन जाती है, “अराजकता का मार्ग ले लेती है और तब देश को इतनी बड़ी हानि हो जाती है, जिसकी भरपाई करने में हमें नये सिरे से मेहनत करनी पड़ती है। ”
प्रधानमंत्री ने देश और समाज को विकास की राह पर आगे बढ़ाने के अपनी सरकार के मुख्य मुख्य प्रयासों और उपलब्लियों को गिनाते हुये कहा कि उनकी सरकार देश के लिये नेक नीयत से काम कर रही है और विपरीत मार्ग पर जाने वालों के दिल जीतने का प्रयास करेगी।
उन्होंने कहा कि इसलिये ऐसे जो छुट-पुट निराशावादी तत्व होते हैं, वे सिर्फ निराश हैं, इतना ही नहीं है, उनकी गोद में विकृति पल रही है। यह विकृति विनाश के सर्वनाश के सपने देख रही है, ताने-बाने जोड़ने के प्रयास में लगी है। देश को इसे समझना होगा।
श्री मोदी ने कहा, “ लेकिन मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कि हम हमारी नेक नियत से, हमारी ईमानादारी से, राष्ट्र के प्रति समर्पण से, हम सारी परिस्थितियों के बावजूद भी विपरीत मार्ग पर जाने वालों के लिए भी उनके भी दिल जीत करके, हम देश को आगे बढ़ाने के संकल्प में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे, यह मैं विश्वास देना चाहता हूं। ”
प्रधानमंत्री ने इससे पहले कहा कि उनकी सरकार बड़े सुधारों के लिये बहुत ही प्रतिबद्ध है। देश में नयी व्यवस्थायें बन रही हैं। नीतिगत स्थिरता है, व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बढ़ता जा रहा है आज जो 20-25 साल का नौजवान है वे 12-15 साल की उम्र का नौजवान था, उसने अपनी आंखों के सामने यह बदलाव देखा है। और उसके सपनों को आकार मिला है, धार मिली है और उसके आत्मविश्वास में एक नयी चेतना जगी है और वही देश के एक नये सार्म्थय के रूप में उभर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी सुधारों की प्रक्रिया किसी मजबूरी में नहीं है, देश को मजबूती देने के इरादे से है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वो राजनीति का भाग और गुणा करके नहीं सोचते हैं, हमारा एक ही संकल्प होता हैं- पहले आता है देश, राष्ट्रहित सुप्रीम। ”
.श्रवण
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जनता को ‘निराशा में डूबे’ तत्वों से संकट के प्रति सावधान किया मोदी ने, कहा सुधार जारी रहेंगे
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