लखनऊ 19 अक्टूबर (लाइव 7) पेरिस ओलंपिक में मामूली अंतर से स्वर्ण पदक से चूके नीरज चोपड़ा ने स्वीकार किया कि चोट के कारण आत्मविश्वास में कमी बाधा बन कर सामने आयी मगर अब उनका पूरा ध्यान अगले साल होने वाली विश्च चैंपियनशिप पर है जिसमें वह चोट मुक्त रह कर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास करेंगे।
अंडर आर्मर के लखनऊ में खुले नये शो रुम के उदघाटन के मौके पर आये नीरज ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 2018 में एशियन चैंपियनशिप के बाद से वह 90 मीटर के काफी करीब रहे है लेकिन भगवान ने शायद उनके लिये कुछ और सोच रखा है। यह भी सच है कि हर कंपीटशन में निरंतरता काफी मुश्किल होती है। उनका थ्रो कई बार 90 मीटर के काफी क्लोज रहता है। बस कुछ सेमी से रह जाते हैं। काफी बार 8़9 प्लस हो गया मगर 90 नहीं हो पा रहा है। 90 मीटर एक मैजिकल मार्क है। काफी बार यह 92 मीटर भी हो सकता था।
उन्होने कहा “ मुझे विश्वास है कि जब सब कुछ ठीक होगा। इंजरी से फ्री होंगे। अच्छा दिन होगा। 90 से ऊपर भी थ्रो जायेगा।”
एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा “ यह कहना गलत होगा कि टोक्यो के मुकाबले पेरिस ओलंपिक में मेरा आत्मविश्वास हिला हुआ था, मगर मै यह जरुर सोच रहा था कि मै इंजर्ड न हो जाऊं। यह मै पिछले कुछ समय से सोच रहा हूं। पिछली बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में जब मैने गोल्ड जीता तब भी मेरे मन में यह कहीं न कहीं जरुर था । मै गोल्ड तो जीत गया मगर मुझे लगता है कि उस समय भी मै कुछ और अच्छा पुश लगा सकता था। कहीं न कहीं कांफिडेंस की कमी है और अब अपने को पूरी तरह फिट करके मैदान में उतरना है।”
कोच बदलने के सवाल पर उन्होने कहा “ मेरे कोच इस समय 75 साल से ज्यादा उम्र के है। वह कुछ आ चाहते है और अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते है। वह मेरे साथ काफी लंबे समय से रहे है। मै उनसे और उनके परिवार से मिलता रहा हूं और उनका मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ रहेगा। अभी मेरा ध्यान अगले साल होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में है। इसके लिये मुझे अभी कोच की तलाश है जैसे ही कुछ कंफर्म होगा, मै जरुर बताऊंगा।”
नीरज ने कहा “ अभी जो फ्रैक्चर हुआ था,उसकी सर्जरी स्विटजरलैंड में करा ली थी और हाल मे जो चोट लगी है,उसकी कोशिश होगी कि मै जल्द ही उसकी भी सर्जरी करा कर रिहैब कर सकूं। उम्मीद करुंगा कि मै चोट से मुक्त रह कर खुद को आगे होने वाली प्रतियोगिताओं के लिये तैयार रख सकूं। ”
विदेश में प्रशिक्षण को तरजीह देते हुये उन्होने कहा कि घर मे रह कर प्रशिक्षण मुश्किल होता है क्योंकि प्रशिक्षण के जरुरी एकाग्रता में कमी आती है। दक्षिण अफ्रीका प्रशिक्षण के लिये काफी उपयुक्त जगह हैं। वहां का मौसम और सुविधायें प्रशिक्षण के लिये काफी अनुकूल है। ट्रेनिंग में फोकस भारत के बाहर ही ज्यादा हाे पाता है।
भारत में एथलेटिक्स के भविष्य को सुनहरा बताते हुये उन्होने कहा “जेना, विक्रांत, रोहित यादव और यादव जैसे कई एथलीट है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करते आये हैं। ऐसे खिलाडियों की वजह से घरेलू प्रतियोगिताओं में भी कंपटीशन काफी बढ गया है। पहले 75 मीटर में भी गोल्ड आ जाता है अब सब 80 मीटर से ऊपर की सोचते हैं।
लाइव 7
चोटों के कारण हिले आत्मविश्वास को वापस पाने की कोशिश: नीरज
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