कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाना बहुत जरूरी: योगी

Live 7 Desk

गोरखपुर 13 मार्च (लाइव 7) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रौद्योगिकी और जन जागरूकता के समन्वय से ही अच्छे परिणाम आएंगे।
योगी गुरुवार को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पर नगर निगम की तरफ से एक होटल में आयोजित नेशनल कांफ्रेंस के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार प्रदेश के सभी नगर निगमों को सोलर सिटी के रूप में विकसित करेगी। वर्ष 2027 तक गोरखपुर को खुले में कचरा जलाने से मुक्त शहर बनाने के रोडमैप थीम पर महानगर के एक होटल में आयोजित कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक उद्धरण का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृति सबकी आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है पर किसी के लोभ को पूरा करने का सामर्थ्य उसमें नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रकृति.पर्यावरण संरक्षण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चलाए गये कार्यक्रमों का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाना है। उन्होने कहा कि प्रकृति से खिलवाड़ का नतीजा सबने कोविड काल में देखा है। कोविड के दूसरे लहर में लोग ऐसे ही तड़प रहे थे जैसे जल से निकली मछली तड़पती है। उन्होंने कहा कि मानव से तैयार विकृतियों का दुष्परिणाम मानव को खुद ही भुगतना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य तय किया है, उसमें राष्ट्रीय स्तर से लेकर स्थानीय स्तर तक के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। इन कार्यक्रमों में जन प्रतिनिधियों के जरिये जन सहभागिता भी होनी चाहिए क्योंकि कोई भी आंदोलन जन सहभागिता के बिना सफल नहीं हो सकता।
काबर्न उत्सर्जन को न्यूनतम करने के लिए प्रदेश सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए योगी ने कहा कि 2017 से राज्य सरकार ने प्रदेश से 17 लाख हैलोजन हटाकर एलईडी स्ट्रीट लाइट लगवाई है। इस पर एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ। हैलोजन से कार्बन उत्सर्जन अधिक होता था साथ ही ऊर्जा का व्यय भी अधिक होता था। एलईडी लाइट लगने से कार्बन उत्सर्जन भी कम हुआ और ऊर्जा की भी बचत हो रही है।
एलईडी लगवाने के एवज में संबंधित कम्पनी को ऊर्जा बचत के अंतर का पैसा दिया गया। इस व्यवस्था से निकायों में एक हजार करोड़ रुपये की बचत हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ही सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया। इसके समानांतर विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना लागू कर मिट्टी के उत्पादों को बढ़ावा दिया। मिट्टी के कारीगरों को क्षमता बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक और सोलर चाक दिए गए। इससे प्लास्टिक के कचरे से तो मुक्ति मिली ही, रोजगार के नए अवसर भी सृजित हुए।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक उत्पादों के विकल्प रूप में केले के रेशे से उत्पाद बनाने वाले प्लांट का शिलान्यास लखीमपुर में किया गया है। इससे जो उत्पाद बनेंगे वह तीन माह में अपने आप ही मिट्टी में मिल जाएंगे। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण के लिए यूपी में पौधरोपण अभियान की सफलता का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में विगत आठ वर्षों में 210 करोड़ पौधरोपण को भी सफलतापूर्वक किया गया है। इनमें से 70 से 75 प्रतिशत पौधे बढ़े भी हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से यह सुखद अनुभूति है कि आबादी,इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और तेजी से औद्योगिक विकास के बाद भी यूपी में फारेस्ट कवरेज बढ़ रहा है।
उन्होंने घर के आसपास पेड़ पौधा लगाने की अपील करते हुए कहा कि पेड़ पौधों से ही घर की रौनक होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति की गोद में ही रहकर हम आध्यात्मिक अन्तःकरण को जी सकते हैं। प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि प्रकृति के पास सब कुछ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रही है। सरकार का लक्ष्य 22 हजार मेगावाट ऐसी ऊर्जा के उत्पादन पर है। इसी क्रम में अयोध्या को पहली सोलर सिटी के रूप में विकसित किया गया है जहां 6 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी की व्यवस्था हुई है। बुंदलेखंड में 5 हजार मेगावाट के ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदेश के सभी नगर निगमों को सोलर सिटी बनाएगी।
योगी ने कहा कि गांव के लोगों को भोजन पकाने के लिए पहले लकड़ीए कोयला या गोबर के उपलों को जलाना पड़ता था। इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था। इस प्रतिकूल प्रभाव से बचाने तथा वायु गुणवत्ता सुधार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना लागू कर 10 करोड़ परिवारों को एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध कराए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कल होली पर प्रदेश के 1.81 करोड़ परिवारों को निशुल्क गैस सिलेंडर देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया।
योगी ने कहा कि पराली (फसल अवशेष) जलाने के दुष्परिणाम दिल्ली.एनसीआर में सबके सामने दिखते हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ता है परए यूपी में प्रदेश सरकार पराली का इस्तेमाल कम्प्रेस्ड बायो गैस और एथेनॉल बनाने के लिए कर रही है। सरकार पराली से किसानों को अतिरिक्त आय भी अर्जित करा रही है। कम्प्रेस्ड बायो गैस का एक प्लांट गोरखपुर में भी लगाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा की प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन की संभावनाओं पर भी पॉलिसी को आगे बढ़ाया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग और तालाबों के संरक्षण पर जोर दिया। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था हर घर में होनी चाहिए। इससे भूगर्भीय जल का स्तर सुधरेगा और सुख रही नदियों को भी  नी मिलेगी। वातावरण में नमी का स्तर मेंटेन रहेगा और धूल के कण अवशोषित होते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि इसी तरह तालाबों को कब्जा मुक्त रखने की जरूरत है। योगी ने कहा कि नदियों को सूखने से बचाना होगा क्योंकि ये नदियां मानव शरीर की रक्तवाहिनियों की तरह प्रकृति की जीवनदायिनी हैं। नदियां सूख जाएंगी तो लाइफ लाइन सूख जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी को भी नदियों को प्रदूषित करने या उनसे खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। नदियां बढेंगी तो वन आच्छादन बढ़ेगा और इससे ऑक्सीजन का भंडार बढ़ेगा।
इस अवसर मुख्यमंत्री ने प्रयागराज महाकुंभ की सफलता का रहस्य भी समझाया। उन्होंने कहा कि लोग स्नान तो अपने घर पर भी कर लेते हैं लेकिन वहां मां गंगा.यमुना को देखने और त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पूर्ण का भागीदार बनने आ रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि वहां जल नहीं होताए गंदगी और अव्यवस्था होती,कनेक्टिविटी नहीं होती तो कोई नहीं आता। प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक  लु आए।
सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि माहाकुंभ के दौरान गंगा में 10 से 12 क्यूसिक और यमुना में 8 से 10 क्यूसिक पानी मेंटेन रहे। ऐसा नहीं होता तो पहले ही चरण में महाकुंभ मेला उखड़ गया होता। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर बहुत अच्छी सिटी है। गोरखपुर और आसपास का क्षेत्र जल, जंगल और जमीन से समृद्ध है। यहां पर्याप्त फारेस्ट एरिया है, पर्याप्त लैंड है और कई झीलें और नदियां हैं। उन्होंने कहा कि सरप्लस लैंड का उपयोग कर हम कार्बन उत्सर्जन न्यूनतम करने में सफल हो सकते हैं।
योगी ने कहा कि 2017 के पहले गोरखपुर में तीन से चार फीट तक जलजमाव होता था। ड्रेनेज सिस्टम ठीक होने और सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक से अब यहां बारह घंटे बारिश होने पर भी जलजमाव नहीं होता है। उन्होंने कहा कि पहले दूषित पानी राप्ती नदी में गिरने के कारण एनजीटी नगर निगम पर भारी जुर्माना करती थी पर अब देशी पद्धति से पानी का शोधन कर एसटीपी पर लगने वाले एकमुश्त 110 करोड़ रुपये और सालाना 10 करोड़ रुपये मेंटिनेंस खर्च की बचत हुई है। देशी पद्धति से गोरखपुर ने न केवल जल शोधन का मॉडल प्रस्तुत किया है बल्कि इससे 350 बीओडी के स्तर को 8 से 10 पर लाने में सफलता मिली है।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में वायु गुणवत्ता सुधार पर आधारित एक पुस्तिका का भी विमोचन किया।
उदय  
लाइव 7

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