ओटावा/नयी दिल्ली, 07 दिसंबर (लाइव 7 ) खालिस्तानी अलगाववादी एवं पूर्व मंत्री जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) 1984 के सिख विरोधी दंगों को नरसंहार के रूप में मान्यता दिलाने के अपने प्रयास में विफल रही।
इस प्रस्ताव का लिबरल सांसद चंद्र आर्य से हाउस ऑफ कॉमन्स में कड़ा विरोध किया। प्रस्ताव एनडीपी सांसद सुख धालीवाल द्वारा पेश किया गया था। श्री आर्य ने कहा कि प्रस्ताव “राजनीतिक रूप से शक्तिशाली खालिस्तानी लॉबी” द्वारा संचालित किया गया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार श्री आर्य इस प्रस्ताव का विरोध करने वाले एकमात्र सांसद थे। इस प्रस्ताव को पारित होने के लिए सर्वसम्मति की आवश्यकता थी।
श्री आर्य ने अपने फैसले के बारे में बताया, “सरे-न्यूटन के सांसद ने भारत में सिखों के खिलाफ 1984 के दंगों को नरसंहार घोषित करने के लिए सर्वसम्मति मांगी थी।” उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है, जब मुझे हिंदू-कनाडाई लोगों के लिए अपनी चिंताओं को दबाने के प्रयासों का सामना करना पड़ा है।” उन्होंने विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ सतर्कता बरतने का आह्वान किया।
एनडीपी नेता जगमीत ने उदारवादियों और रूढ़िवादियों पर सिख समुदाय को न्याय दिलाने से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया तथा प्रस्ताव का समर्थन करने से इनकार करने पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “समुदाय की चिंताओं को सुनने के लिए उनके पास महीनों का समय था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को रोकने का फैसला किया।” श्री धालीवाल ने इस निराशा को दोहराया, तथा दोनों दलों से समर्थन की कमी को उजागर किया। श्री आर्य ने हालांकि चेतावनी दी कि प्रस्ताव फिर से सामने आ सकता है। उन्होंने कहा, “खालिस्तानी लॉबी इस एजेंडे को आगे बढ़ाने की फिर से कोशिश करेगी। मैं हिंदू-कनाडाई लोगों से आग्रह करता हूं कि वे अपने सांसदों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में इसका विरोध किया जाए।” दंगों की “बर्बरतापूर्ण” निंदा करते हुए श्री आर्य ने तर्क दिया कि उन्हें नरसंहार करार देने से कनाडा के हिंदू और सिख समुदायों के बीच ध्रुवीकरण का जोखिम है। उन्होंने कहा, “उन भयावह घटनाओं में हजारों निर्दोष सिखों ने अपनी जान गंवाई, और हम सभी इस क्रूरता की निंदा करते हैं। हालांकि, इन दुखद और भयानक दंगों को नरसंहार करार देना भ् क और अनुचित है। इस तरह के दावे हिंदू विरोधी ताकतों के एजेंडे को बढ़ावा देते हैं और कनाडा में हिंदू तथा सिख समुदायों के बीच दरार पैदा करने का जोखिम उठाते हैं।” उन्होंने कहा कि हमें इन विभाजनकारी तत्वों को सद्भाव को अस्थिर करने के प्रयासों में सफल नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने कहा, “कनाडा की संसद को 1984 के दंगों को नरसंहार घोषित करने से रोकने का एकमात्र तरीका यह सुनिश्चित करना है कि जब सर्वसम्मति से सहमति मांगी जाए, तो हर सांसद – या सांसदों की एक महत्वपूर्ण संख्या – खड़ी हो और ना कहें।” उन्होंने कहा, “एक बार फिर, मैं हिंदू-कनाडाई लोगों से अपने सांसदों से संपर्क करने और इस खालिस्तानी-संचालित कथा का दृढ़ता से विरोध करने का अनुरोध करता हूं।” उन्होंने पोस्ट किया, “आइए हम इस हिंदू विरोधी एजेंडे के खिलाफ एकजुट हों और अपने समुदायों की रक्षा करें।”
संतोष
लाइव 7
कनाडा में 1984 के सिख विरोधी दंगों को नरसंहार बताने की कोशिश में विफल रही खालिस्तानी लॉबी
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