बेंगलुरू 01 अक्टूबर (लाइव 7) काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाने और कर्मचारियों के उत्पादकता को बढ़ावा देने को ध्यान में रखते हुये देश की अधिकांश कंपनियां राईट टू डिस्कनेक्ट का समर्थन कर रही है और उनका मनना है कि कार्यस्थल पर ‘राईट टू डिस्कनेक्ट’ पॉलिसी का क्रियान्वयन एक सक्रिय कदम होगा। भारत में ‘ऑलवेज़ ऑन’ की संस्कृति कर्मचारियों की समस्या बनती जा रही है।
ग्लोबल जॉब मैचिंग और हायरिंग प्लेटफॉर्म इनडीड के सर्वे में सामने आया है कि भारत में 79 प्रतिशत नियोक्ताओं का मानना है कि राईट टू डिस्कनेक्ट के बारे में चर्चाओं का महत्व बढ़ता चला जा रहा है ताकि कर्मचारियों पर बढ़ते तनाव का समाधान करने में मदद मिल सके। सर्वे में सामने आया कि 88 प्रतिशत भारतीय कर्मचारियों से उनके नियोक्ता काम के घंटों के बाद भी लगातार संपर्क में रहते हैं, तथा 85 प्रतिशत कर्मचारियों ने बताया कि यह संचार बीमारी के अवकाश और सार्वजनिक छुट्टी के दिनों में भी जारी रहता है।
अधिकांश भारतीय कंपनियां ‘राईट टू डिस्कनेक्ट’ के समर्थन में
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