6 दिसंबर की घटनाओं पर बंगाल में दो समानांतर कार्यक्रम, तृणमूल और निलंबित विधायक हमायूं कबीर आमने-सामने

Ravikant Upadhyay

कोलकाता, 6 दिसंबर। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढाँचे के ध्वंस की बरसी पर पश्चिम बंगाल में शनिवार को राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। एक ओर तृणमूल कांग्रेस कोलकाता के एस्प्लेनेड में अपने वार्षिक ‘सम्प्रति दिवस’ (साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस) कार्यक्रम का आयोजन कर रही है, वहीं दूसरी ओर पार्टी के निलंबित विधायक हमायूं कबीर मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ के शिलान्यास समारोह का आयोजन करने जा रहे हैं। इन दो अलग-अलग कार्यक्रमों ने राज्य की राजनीति में गर्मी ला दी है। तृणमूल कांग्रेस का ‘सम्प्रति दिवस’ कार्यक्रम पार्टी की युवा और छात्र इकाई द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शीर्ष नेतृत्व की उपस्थिति तय मानी जा रही है। पार्टी के एक मंत्री ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल साम्प्रदायिक सौहार्द का संदेश दिया जाएगा, बल्कि राज्य में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (विशेष गहन पुनरीक्षण) अभियान की “अव्यवस्थित और असंगत प्रक्रियाओं” को भी उठाया जाएगा। मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया के चलते आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है, जिसे कार्यक्रम में प्रमुखता से उठाया जाएगा।

दूसरी ओर, निलंबित विधायक हमायूं कबीर बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ का शिलान्यास कार्यक्रम किसी भी कीमत पर आयोजित करने के लिए दृढ़ हैं, जबकि इसी कार्यक्रम के कारण उन्हें इस सप्ताह की शुरुआत में ही तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किया गया था। उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को निर्देश दिया था कि कार्यक्रम में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की संयुक्त सुरक्षा तैनात की जाए। इसके बाद से बेलडांगा में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, शुक्रवार रात से ही हजारों लोग इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए स्थल पर पहुँचने लगे हैं। हमायूं कबीर लगातार स्थल का निरीक्षण कर रहे हैं और व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने में सक्रिय हैं। शनिवार सुबह मीडिया से बात करते हुए कबीर ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “ममता बनर्जी समझती हैं कि वही सही हैं और बाकी सब गलत। वह भूल रही हैं कि 2011 से लेकर लगातार उनकी जीत में मुस्लिम समुदाय की बड़ी भूमिका रही है। अब 2026 के विधानसभा चुनाव में मुसलमान ही उनके घमंड को तोड़ेंगे।”

इस मामले पर नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने दावा किया कि कबीर का निलंबन और उनका कार्यक्रम “ममता बनर्जी और उनके बागी नेता के बीच की पूर्वनियोजित राजनीतिक रणनीति” का हिस्सा है। अधिकारी ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम योजनाबद्ध लगता है ताकि विशेष राजनीतिक संदेश दिया जा सके। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने उलटे भाजपा पर आरोप लगाया। उनका कहना है कि “कबीर के इन कदमों के पीछे भाजपा की साजिश है, जो राज्य में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की कोशिश कर रही है।” शनिवार को होने वाले इन दो समानांतर आयोजनों पर पूरे राज्य की नजर है। एक ओर तृणमूल कांग्रेस सौहार्द का संदेश देने का प्रयास कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर हमायूं कबीर का कार्यक्रम राजनीतिक व सामाजिक दोनों ही दृष्टि से राज्य में नई बहस छेड़ने वाला साबित हो रहा है।

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