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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति का वादा कर हेमंत सोरेन ने झारखंड के आदिवासी मूलवासी को ठगने का काम किया है और यह सरकार वास्तविक में ठगुआ सरकार है। झारखंड की जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि छह वर्ष की लंबी सत्ता के बाद भी हेमंत सोरेन सरकार एक भी स्थानीय नियोजन नीति क्यों नहीं ला सकी। आज तक न कटऑफ डेट घोषित हुई, न खतियान आधारित नीति बनी, न युवाओं को कोई ठोस रास्ता मिला। यह सरकार केवल आश्वासन देती है, और फिर उसपर मौन साध लेती है।
2012 से झामुमो सरकार खतियान आधारित नीति पर ड्रामेबाजी कर रही
प्रतुल ने कहा कि यह वही हेमंत सोरेन हैं जिन्होंने 1932 के खतियान आधारित नीति के मुद्दे पर 2012 में अर्जुन मुंडा सरकार से समर्थन वापस लेकर बड़ा नाटक किया था, तब यह उनके लिए “असली जनभावना” थी। लेकिन आज, छह वर्षों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बावजूद, नीति के नाम पर शून्य उपलब्धि—इससे बड़ा विडंबनापूर्ण उदाहरण कोई नहीं हो सकता।प्रतुल ने कहा कि सच यह है कि हेमंत सरकार की मंशा नहीं, सिर्फ़ माला–जपने वाली मुनादी है।झारखंड के बेरोज़गार युवाओं को भरमाने का खेल अब खुलकर सामने आ चुका है।प्रतुल ने कहा कि खतियान आधारित नियोजन पर सरकार बार–बार जनता को गुमराह कर रही है।छह वर्षों में फ़ाइलें धूल झाड़ती रहीं और सरकार भाषण झाड़ती रही।राज्य के युवा पूछ रहे हैं कि 2012 में जिस नीति पर समर्थन वापस लिया, 2025 तक उसी नीति पर काम क्यों नहीं किया?
75% ठेका स्थानीय लोगों को देने के वादा को भी ठेंगा दिखा दिया ठगुआ सरकार ने
प्रतुल ने कहा कि वोट लेने के लिए हेमंत सरकार ने आदिवासी मूलवासियों के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे जिसमें 75% ठेका स्थानीय लोगों को देने का भी जिक्र था। लेकिन सरकार में आते ही जहांपनाह के सुर बदल गए और अब तो टेंडर में ऐसी कंडीशन रखे जा रहे हैं जिससे स्थानीय कंपनियां हिस्सा ही नहीं दे सकती। यू टर्न करने में इस ठगुआ सरकार का कोई सानी नहीं।

