सुप्रीम कोर्ट का झारखंड विधानसभा नियुक्ति विवाद पर बड़ा फैसला: फिलहाल नहीं होगी सीबीआई जांच, इंटरिम आवेदन खारिज

Ravikant Upadhyay

नई दिल्ली। झारखंड विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित अनियमितताओं को लेकर दायर मामलों पर बड़ी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल इस मामले में सीबीआई जांच आगे नहीं बढ़ेगी। अदालत ने सीबीआई द्वारा दायर उस इंटरलोक्यूटरी आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें एजेंसी ने विधानसभा नियुक्ति मामले पर लगी रोक हटाकर प्रारंभिक जांच आगे बढ़ाने की अनुमति मांगी थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान सीबीआई की मांग को ठुकराते हुए कहा कि पहले से लगाए गए निषेधाज्ञा आदेश (Stay) में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान झारखंड विधानसभा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि यह पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “जब भी ऐसे मुद्दे उठते हैं, सीबीआई बिना आवश्यकता के बीच में आ जाती है। सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मामले में सीबीआई जांच पर रोक लगा चुका है। इसलिए अब जांच आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं है।” सीबीआई की ओर से एएसजी एसवी राजू ने कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों में गंभीर गड़बड़ियां हुई हैं और एजेंसी को जांच का अवसर मिलना चाहिए। हालांकि, पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया और कहा कि सीबीआई का आवेदन स्वीकार करने योग्य नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआई की भूमिका पर तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा, “आप अपनी राजनीतिक लड़ाई के लिए एजेंसी का इस्तेमाल क्यों करते हैं? कई मामलों में हमने कहा है कि जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर रोक लगनी चाहिए।”

पृष्ठभूमि क्या है?

सामाजिक कार्यकर्ता शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि विधानसभा में बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्तियां और पदोन्नतियां की गईं। याचिका में दावा किया गया कि 2018 में तत्कालीन राज्यपाल ने इस मामले की जांच के लिए 30 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सितंबर 2024 में झारखंड हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए सीबीआई को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोप गंभीर हैं और इनमें “उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों की मिलीभगत” की आशंका है, इसलिए राज्य पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ झारखंड विधानसभा और राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की थी। उनका कहना था कि हाईकोर्ट ने बिना पर्याप्त आधार के सीधे सीबीआई को जांच सौंप दी, जबकि राज्य एजेंसियों के पास अपनी जिम्मेदारी निभाने का मौका भी नहीं दिया गया।

नवंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि पहले यह तय किया जाएगा कि क्या शुरुआती स्तर पर ही सीबीआई को जांच सौंपने के लिए पर्याप्त आधार था या नहीं। अब सीबीआई की याचिका खारिज होने के बाद मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट की विस्तृत सुनवाई का इंतजार करेगा। तब तक सीबीआई न तो जांच शुरू कर सकेगी, न ही प्रारंभिक कार्रवाई आगे बढ़ा पाएगी। यह फैसला झारखंड की सियासत और सरकारी नियुक्ति प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि इससे जांच एजेंसियों के संभावित दुरुपयोग और न्यायिक संतुलन पर गंभीर प्रश्न उठते हैं।

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