सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने के लिए अमेरिका पहुंचे। यह सात साल बाद सऊदी क्राउन प्रिंस का अमेरिका का पहला दौरा था। दोनों देशों के बीच इस दौरे के दौरान कई ऐतिहासिक समझौते हुए और रक्षा तथा परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को लेकर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। व्हाइट हाउस में आयोजित मुलाकात के दौरान सऊदी अरब और अमेरिका ने सिविल न्यूक्लियर एनर्जी पर संयुक्त घोषणा को मंजूरी दी और ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मुलाकात से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने घोषणा की थी कि अमेरिका सऊदी अरब को एफ-35एस फाइटर जेट बेचेगा। सऊदी अरब को कुल 48 एफ-35एस जेट मिलेंगे। इसके अलावा, अमेरिका और सऊदी अरब ने लगभग 300 अमेरिकी टैंक की डिलीवरी पर भी मुहर लगाई। व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार, दोनों देशों ने महत्वपूर्ण खनिज ढांचे और एआई समझौते (MoU) पर भी सहमति बनाई। सऊदी अरब को एफ-35एस जेट मिलने की अनुमति केवल इजरायल को दी गई थी, लेकिन अब अमेरिका-सऊदी सौदे से यह स्थिति बदल गई है। इस डील को लेकर जब अमेरिकी राष्ट्रपति से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इजरायल को पहले से इसकी जानकारी है और अमेरिका दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने बताया कि अमेरिका में सऊदी अरब का निवेश 600 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1 ट्रिलियन डॉलर होने जा रहा है। यह निवेश अमेरिका और सऊदी अरब के बीच व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को और मजबूत करेगा। दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध भी इस दौरे में नए स्तर पर पहुंचे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने क्राउन प्रिंस के स्वागत में आयोजित भव्य डिनर पार्टी में सऊदी अरब को “मेजर नॉन-नाटो एलाय” (महत्वपूर्ण गैर-नाटो सहयोगी) का दर्जा दिया। इस दर्जे का फायदा दोनों देशों के रक्षा सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में मिलेगा। अब तक यह विशेष दर्जा केवल 19 देशों को दिया गया है।
यह दौरा विशेष महत्व का है क्योंकि 2018 में अमेरिकी पत्रकार जमाल खरगोशी की हत्या के बाद अमेरिका और सऊदी अरब के बीच संबंधों में तनाव देखा गया था। हालांकि अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सऊदी अरब के साथ संबंध सुधारने और दोनों देशों के रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं। इस दौरे के दौरान हुए समझौते और निवेश प्रस्तावों से अमेरिका-सऊदी अरब के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को नई दिशा मिलेगी। दोनों देशों ने अपनी साझेदारी को क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम बताते हुए इसे ऐतिहासिक बताया।

