नई दिल्ली, 19 नवंबर। भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री और ‘भारत रत्न’ सम्मान से सम्मानित इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अनेक नेताओं ने पूर्व प्रधानमंत्री को उनके योगदान और नेतृत्व के लिए याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।”
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में एक प्रमुख राजनीतिक परिवार में हुआ था। उनके पिता भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। बचपन से ही वह स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी रहीं। उन्होंने ‘बाल चरखा संघ’ की नींव रखी और 1930 में ‘असहयोग आंदोलन’ के दौरान बच्चों के सहयोग के लिए ‘वानर सेना’ का गठन किया। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में उनकी सक्रिय भूमिका के कारण उन्हें जेल भी भेजा गया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने दंगा प्रभावित क्षेत्रों में महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में राहत कार्य किए।
कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक कार्यों में इंदिरा गांधी की भूमिका समय के साथ बढ़ती गई। 1955 में वे कांग्रेस कार्य समिति और केन्द्रीय चुनाव समिति की सदस्य बनीं। बाद में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय एकता परिषद, युवा कांग्रेस और महिला विभाग की प्रमुख रहीं। 1959 में वे कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं और 1960 तक इस पद पर रहीं। 1978 में उन्हें दोबारा अध्यक्ष चुना गया।
उनकी राजनीतिक यात्रा ने बड़ा मोड़ तब लिया जब 1964 में वे सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं। पंडित नेहरू के निधन और लाल बहादुर शास्त्री की आकस्मिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को वे भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। उनका कार्यकाल—1966 से 1977 और फिर 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक—भारत के राजनीतिक इतिहास में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने परमाणु ऊर्जा, विदेश, गृह और अंतरिक्ष मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभागों का भी नेतृत्व किया। 1971 के बांग्लादेश युद्ध में भारत की निर्णायक भूमिका और पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय का श्रेय भी उनके नेतृत्व को दिया जाता है। गरीबी उन्मूलन और राष्ट्रीयकरण जैसे उनके फैसलों ने देश की दिशा और नीतियों पर गहरा प्रभाव डाला। 1964 से 1967 तक राज्यसभा सदस्य रहने के बाद इंदिरा गांधी 1967 में पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्होंने रायबरेली और मेडक से भी चुनाव जीते, जिसमें बाद में उन्होंने मेडक सीट को बरकरार रखा। वे लंबे समय तक कांग्रेस संसदीय दल की नेता भी रहीं।
इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 को हुई, लेकिन उनका प्रभाव और विरासत आज भी भारतीय राजनीति और प्रशासन में महसूस की जाती है। उनकी निर्णायक नेतृत्व शैली, सशक्त व्यक्तित्व और ऐतिहासिक नीतियां भारत के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गई हैं। 108वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में विभिन्न नेताओं, सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और देशनिर्माण में उनके योगदान को याद किया।

