“झारखंड की राजनीति, प्रयोग और संयोग” का हुआ लोकार्पण

Shashi Bhushan Kumar
लोकार्पण करते हुए

वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्याम किशोर चौबे की झारखंडनामा एवं झारखंड की राजनीति प्रयोग और संयोग का लोकार्पण किया गया . श्याम कृष्ण चौबे जी ने “झारखंड की राजनीति, प्रयोग और संयोग” किताब के बारे में बताया कि राज्य में बीते 25 साल में किस तरह से राजनीतिक बदलाव हुआ इसके झारखंड राज्य के लोग इसके साक्षात गवाह है.इन दोनों पुस्तकों के लेखक श्याम किशोर चौबे ने कहा कि लम्बे समय तक झारखंड की निगहबानी करते हुए मैने पाया कि वास्तविक राजनीति किताबों में पढ़ाई जानेवाली राजनीति से बिल्कुल अलग होती है. यह भी कि नेतृत्व का गुण नेतृत्वकर्ता के डीएनए में होता है, कोई पढ़ाई या कोर्स किसी व्यक्ति में नेतृत्व का गुण बाहर से नहीं डाल सकती.

लोकार्पण के दौरान श्याम किशोर चौबे जी

झारखंड के 25 साल पूरा होने पर श्याम किशोर चौबे ने कहा कि मुझे लगता है की राज्य हमेशा से युवा था और युवा ही रहेगा. देश की राजनीति को देखते हुए कहा की लोग सब्जी को लेते समय टटोलत हैं और उसके गुणवत्ता को देखते हैं. लोगों को पत्रकार , प्रोफेसर, अधिकारी पढ़ा हुआ चाहिए मगर जब बात, किसी नेता की आती है तो लोग बिना देखे ऐसे लोगों को वोट देते हैं जिन्हें अपने नाम तक के हस्ताक्षर करने नहीं आते यह बहुत ही दुखदाई है.

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि नेतृत्वकर्ता जन प्रतिनिधियों को सदैव दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने चाहिए. झारखंड में डोमिसाइल को लेकर जो नीतियां बनीं, जो वक्तव्य दिए गए, जिस प्रकार के घटनाक्रम विकसित हुए उनके परिणाम आज झारखंड की जनता जिस रूप में भुगत रही है, उस कसौटी पर इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि डोमिसाइल को लेकर राजनेताओं में भले ही कंफ्यूजन हो, जनता में कोई कंफ्यूजन नहीं है. उन्होंने कहा कि झारखंड की 25 वर्षों की यात्रा में लम्बे समय तक मैं भी महत्वपूर्ण दायित्व में रहा हूं और काफी कुछ मेरे पास भी कहने – बताने को है, लेकिन मुझे सदैव यह स्मरण रहता है कि तब मैने सिर्फ पद की ही नहीं, गोपनीयता की भी शपथ ली थी, इसलिए मैं कई चीजें सार्वजनिक करने से बचता हूं.

समारोह के विशिष्ट अतिथि झारखंड के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राजनीति में और विशेषतः सत्ता में पढ़े लिखे नेताओं का होना जरूरी है, कम पढ़ा लिखा राजनेता नौकरशाही की टेढ़ी चालों से बच नहीं पाता. उन्होंने कहा कि पत्रकारों और साहित्यकारों की कलम नौकरशाहों के कृत्यों को उजागर करने के लिए भी चलनी चाहिए. किशोर ने अपने वक्तव्य में उस पूरे घटनाक्रम को भी शामिल किया, जिसमें उन्हें अर्जुन मुंडा की सरकार में मंत्री बनाया गया था और केवल 10 दिनों बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त ने की और संचालन वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने किया. समारोह के सभी अतिथियों को प्रभात प्रकाशन की ओर से राजेश कुमार और दिवाकर कुमार ने पुस्तकों का सेट भेंट कर उनका स्वागत किया और प्रभात प्रकाशन के पीयूष कुमार ने स्वागत भाषण दिया.

Share This Article
Digital Head,Live-7, Committed to impactful journalism, Shashi Bhushan Kumar continues to bring meaningful narratives to the public with diligence and passion. Active Journalist since 2012.
Leave a Comment